तमीज़दार होने का एक नुक़सान यह भी है,
कि हज़ारों बातें दिल के अंदर ही रह जाती हैं..-
इतनी दूर तक गया था रिश्ता हमारा..❤️
कोई नाम भी ले उनका दिल तड़प उठता है,
हमने चाहा है उन्हें अपनी इज़्ज़त की तरह..-
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें,
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो..
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राख के ढेर पे क्या शो'ला-बयानी करते,
एक क़िस्से की भला कितनी कहानी करते..-
घर अन्दर ही अन्दर टूट जाते हैं,
मकान खड़े रहते हैं बेशर्मों की तरह..-
क्या एक मुलाकात ऐसी नही हो सकती ।।
की मैं मर जाऊ और दफ़नाने तुम आओ।।-
सफ़र में कोई किसी के लिए ठहरता नहीं,
न मुड़ के देखा कभी साहिलों को दरिया ने..-
गलतियों से जुदा तु भी नही मैं भी नहीं,
दोनों इंसान हैं, ख़ुदा तु भी नहीं मै भी नहीं।
तू मुझे और मैं तूझे इल्ज़ाम देते है,
मगर अपने अंदर झांकता तु भी नहीं मैं भी नहीं।
गलतफहमियों ने करदी पैदा दूरियां,
वरना फितरत का बुरा तु भी नहीं मैं भी नहीं ।
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समन्दरों में मुआफिक हवा चलाता है
जहाज़ खुद नहीं चलते खुदा चलाता है
ये जा के मील के पत्थर पे कोई लिख आये
वो हम नहीं हैं, जिन्हें रास्ता चलाता है
वो पाँच वक़्त नज़र आता है नमाजों में
मगर सुना है कि शब को जुआ चलाता है
ये लोग पांव नहीं जेहन से अपाहिज हैं
उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है
हम अपने बूढे चिरागों पे खूब इतराए
और उसको भूल गए जो हवा चलाता है
-राहत इंदौरी-