अभिलाषाओं का त्याग करो,
कर्मयोग अभ्यास करो,
नित जीवन है चलता रहता,
वास्तविक प्रयास करो,
शोक से हाथ हटाते हो ना,
हर्ष से भी पश्चाताप करो,
वियोग में बैठे आंसू बहते,
संयोग पर भी विलाप करो,
बिन इंद्री के क्या होना है,
सत्य पथ को प्राप्त करो,
जग जीवन में निःस्वार्थ रहकर,
संग आत्मा परमात्मा को प्राप्त करो..-
●भ्रम कैसा●
अमर नहीं है जीवन,
फिर जीने में बैर कैसा,
ईर्ष्या से भरे हुए हैं,
फिर बनावटी बातों से मेल कैसा,
पूरी उम्र जब गमों से जियें,
तो दो पल प्रेम से ये रिश्ता कैसा,
साथ ही ना देते हैं जहां अपने,
वहां के परायों से अपनापन कैसा,
छोड़ ही जाना है जब जिस्म को भी अपने,
तो ये मेरा है ये मोह कैसा,
बदल जाते है लोग भी,
वक़्त पे हर बार दोष कैसा,
जब अपने लिए ही जीना है,
तो नियत में अजीब दाग कैसा,
उम्र भर खुशी की तलाश में हैं,
फिर उम्र से आखिर अनुभव कैसा..-
आसान सी पहेलियां जो तुम पूछती थी,
और मैं जवाब जान कर भी अनजान हो जाता था,
नासमझ बन तुम्हारे सामने,
तुम्हारे चेहरे की मुस्कान,
आंखों में जवाब देने की चमक,
और मन चंचलता से छलकता हुआ,
मैं बस तुम्हे पढ़ता था,
और समझना चाहता था,
मुझे हराने के बाद क्या खुशी मिलती होगी,
क्या शुकून मिलता होगा,
तृप्त होती शायद तुम्हारी जीतने की जिद,
और मिलता मुझे शाबासी में,
मूर्खता का इनाम,
नीच दिखाते तुम्हारे शब्द..
आज जब ना तुम साथ हो,
ना हम नासमझ बनना चाहते है,
ना पहेलियां सुलझाना चाहते है,
ना द्वंद पे अनजान रहना चाहते है,
बस खुद के अंदर अज्ञान से ज्ञान,
और अन्तर्मन में अपने भगवान,
तुम्हे छोड़ सिर्फ बसाना चाहते हैं,
पर तुम्हारा कब्ज़ा शायद हमसे,
हमारे खत्म होने के बाद खत्म होगा..-
तुम्हारे लिए वक्त काटने का जरिया ही सही,
मैं अहमियत खुद की समझ तो पाया😐-
गुजर जाएगी जिंदगी ढूंढते-ढूंढते,
तुम मुझे मैं तुम्हें याद आता रहूंगा💔-
एक रात जब खुद को टूटा हुआ पाओ,
इतने तन्हा और इतने अकेले हो जाओ,
चुभने लगे घड़ी की सुइयों की खट-खट,
फिजूल किसी के लिए आंसूं बहाओ..-
दिल में डूबकर,
मैं तुम्हारे लिए सबसे खूबसूरत शब्दों को लिखूंगा,
साथी बन कर,
मैं तुम्हारे लिए हमसफ़र के रिश्ते को लिखूंगा,
दर्दों पे हमारे,
प्रीत के रंगों से मैं मरहम लिखूंगा,
खुशियों में तुम्हारी,
मदहोश करने वाली कोई सरगम लिखूंगा,
दूरियों में हमारी,
मैं यादों का एक खत लिखूंगा..-
नादान उम्र ने ये तजुर्बा दिया है,
मासूम चेहरों ने ही धोखा दिया है..-