ashish malik  
1.3k Followers · 639 Following

https://youtu.be/iQgv5zGPSYE
Joined 15 December 2019


https://youtu.be/iQgv5zGPSYE
Joined 15 December 2019
19 JUN AT 22:30

बिखरे वादे हैं, टूटे रिश्ते हैं,
रंज-ओ-ग़म आज मेरे हिस्से हैं।

और कितना मनाऊॅं ख़्वाबों को,
देख के अब ये मुझसे छुपते हैं।

रिश्तों पर किस तरह यक़ीन आए,
जब क़रीबी ही तंज कसते हैं।

बेवजह लाते हैं नए तूफान,
और कश्ती भी फिर डुबाते हैं।

बह गए सारे ख़्वाब ऑंखों से,
अश्क़ ऑंखों में फिर से छलके हैं।

क्या भरोसा करें किसी पर अब,
सब भरोसे का क़त्ल करते हैं।

मर चुका मेरा दिल, मेरे जज़्बात,
रोज शिकवे हैं रोज झगड़े हैं।

क्या ही इल्ज़ाम दूॅं किसी पर अब,
मेरे क़ातिल मेरे ही अपने हैं।

-


18 JUN AT 23:27

सभी कुछ हो, न हो कुछ आशियानों को,
किसी को हो, न हो कुछ मेरी जानों को।

करो कुछ भी मगर मेरा न कुछ बिगड़े,
ढहा दो, ढहते हैं गर आस्तानों को।

मेरा मतलब निकल जाए यही है चाह,
कि फिर तो आग लग जाए जहानों को।

अगर होता नहीं कोई भी रखवाला,
जवाब इक दे नहीं पाते बहानों को।

किया जो करने वालों ने, करें क्या हम,
रखा क्या है सुनें जो दास्तानों को।

ख़ुदाया क्यों यह दुनिया भूल जाती है,
किसी भी पासबाॅं के एहसानों को।

-


17 JUN AT 21:06

कभी इश्क के दरिया में बहोगे तुम,
बेख़ुदी में बेचैन भी रहोगे तुम।

सुन कर मेरे दिल की सदा,
किसी एक मोड़ पर रुकोगे तुम।

एक ही मंज़िल के दो मुसाफ़िर हम,
मुझे कोई तो राह मिलोगे तुम।

हमसफ़र माना है बस तुम्हीं को,
कभी तो साथ-साथ चलोगे तुम।

बाखुदा यक़ीन है मुझे मेरे इश्क़ पे,
दिल की बात एक रोज़ कहोगे तुम।

-


14 JUN AT 23:29

कैसे कह दूं ऑंखों में पानी नहीं है,
हमनफ़स पे जान क्या वारी नहीं है।

चाहिए उसको हमेशा कुछ नया सा,
सोच ऐसी बाख़ुदा देखी नहीं है।

ज़िंदगी के ज़ाविए बदले कई बार,
बात फिर भी कुछ नई आई नहीं है।

ख़्वाहिश-ए-दिल, हसरत-ए-दिल सब वही हैं,
मेरे जैसा अब तलक कोई नहीं है।

या ख़ुदा कुछ तो बता क्या ही करूॅं मैं,
ये न कहना बात ये जानी नहीं है।

दिल वही है, इश्क़ से लबरेज़ यकसर,
पास मेरे अब नया कुछ भी नहीं है।

-


13 JUN AT 23:08

गुज़रते हैं तन्हा ये दिन रात मेरे,
ग़म ए दिल में अब भी हैं जज़्बात मेरे।

मुहब्बत मुझे रौशनी से बहुत है,
बदलते नहीं हैं ये हालात मेरे।

कभी सजते थे साज़ के साथ सब सुर,
हुए बेसुरे अब तो नग़मात मेरे।

कभी चाँद मुझको दिखाई दिया था,
उसी से हैं बर्बाद लम्हात मेरे।

इसे इल्तिज़ा मान लेना ख़ुदाया,
कभी तो हटा दे ये ज़ुल्मात मेरे।

-


11 JUN AT 22:13

लम्हा-ए-लम्हात मुझको एक और ख़राब मिल गया,
मैं तिश्नगी मिटाने चला था और सराब मिल गया।

-


10 JUN AT 23:06

कोशिशें कम न जाऍं तेरी चाह में,
बस ख़ुदा साथ देता है इस्लाह में।

फूल हर राह तुझको मिलेंगे नहीं,
सैकड़ों काँटें होंगे तेरी राह में।

यूॅं तो है राह-ए-सच्चाई मुश्किल बड़ी,
तू भरोसा फ़क़त रखना अल्लाह में।

जब कभी राह से मन भटकने लगे,
सर झुका लेना तू अपना दरगाह में।

तू फ़क़त अपने दिल की ही बस सुनना,
झूठ ही झूठ होता है अफ़वाह में।

देखना पा ही लेगा तू सब मंज़िलें,
जब जुनून आए सरकश की परवाह में।

-


9 JUN AT 19:12

रूहानी जज़्बा जो दिल में ख़ुदा की इनायत से आता है।

-


8 JUN AT 22:43

ज़िन्दगी में दफ़अतन हिज़्राँ का आलम आ गया,
बा-वजह आँखों में बहर-ए-अश्क़-ए-आज़म आ गया।

रोज़ ही बज़्म-ए-मसर्रत हम सजाया करते थे,
मेरे अफ़सानों में दौर-ए-दर्द-ए-पैहम आ गया।

जब भी उसकी याद आती है तो लगता है मुझे,
ज़ख़्म-ए-दिल का ग़ालिबन, नुस्ख़ा-ए-मरहम आ गया।

कैसे सुलझेगी मेरी उलझी तनाब-ए-एतिबार,
या-ख़ुदा मेरी मुहब्बत में कहाँ ख़म आ गया।

वक़्त था वो भी, फ़ज़ा-ए-इश्क़ से महका था दिल,
आज मेरी हर सू तन्हाई का मौसम आ गया।

-


7 JUN AT 23:28

तेरी चाहत का तलबगार लगातार रहने दो,
इत्र-ए-इश्क़ का खरीददार लगातार रहने दो।
आज़ार-ए-इश्क़ के दरमान की चाह नहीं मुझे,
जान-ए-जान तेरा बीमार, लगातार रहने दो।

-


Fetching ashish malik Quotes