ashish malik  
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https://youtu.be/iQgv5zGPSYE
Joined 15 December 2019


https://youtu.be/iQgv5zGPSYE
Joined 15 December 2019
19 HOURS AGO

मुहब्बत का हुआ ऐसा असर है,
ख़याल-ए-दिलरुबा शाम-ओ-सहर है।

मैं खोया-खोया सा रहता हूँ हर पल,
नशा दीवानगी का सर-ब-सर है।

फ़क़त ख़्वाबों में ही तो आया है तू,
न दूर अब जा कि बाक़ी कुछ कसर है।

मेरे जैसा ही तेरा हाल है फिर,
मेरे हालात से क्यों बे-ख़बर है।

मेरा ईलाज कर मेरे मसीहा,
कि हाल-ए-दिल मेरा ज़ेर-ओ-ज़बर है।

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19 HOURS AGO

मुहब्बत का हुआ ऐसा असर है,
ख़याल-ए-दिलरुबा शाम-ओ-सहर है।

मैं खोया-खोया सा रहता हूँ हर पल,
नशा दीवानगी का सर-ब-सर है।

फ़क़त ख़्वाबों में ही तो आया है तू,
न दूर अब जा कि बाक़ी कुछ कसर है।

मेरे जैसा ही तेरा हाल है फिर,
मेरे हालात से क्यों बे-ख़बर है।

मेरा ईलाज कर मेरे मसीहा,
कि हाल-ए-दिल मेरा ज़ेर-ओ-ज़बर है।

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5 AUG AT 23:50

एहसास-ए-इशरत पे आज इक एहसान कर,
मेरी तंग आग़ोशी से तू इश्क़ की पहचान कर।

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3 AUG AT 0:16

ऐसा इक हसीन लम्हा तेरी मेरी ज़िन्दगानी में हो,
इशरत-ए-वस्ल आतिश-ए-इश्क़ की रवानी में हो।

दरिया-ए-इश्क़ ने लगाई है आग जिस्म-ओ-जाॅं में,
ख़ुदा ख़ैर करे वो आग मुकम्मल बहते पानी में हो।

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26 JUL AT 23:30

मोहब्बत में अब मुब्तिला हो गया हूॅं,
क़सम से ख़ुदी से जुदा हो गया हूॅं।

तुम्हारे लिए क्या से क्या हो गया हूॅं,
सनम अब तो मैं सर-फ़िरा हो गया हूॅं।

नहीं याद नाम-ओ-पता अब ख़ुदी का,
मैं तो गुमशुदा शर्तिया हो गया हूॅं।

तुम्हें ढूॅंढती रहती हैं मेरी नज़रें,
ग़म-ए-हिज़्र से ग़म-ज़दा हो गया हूॅं।

तुम्हारे ख़यालों में रहता हूॅं खोया,
दिवाना सनम बा-ख़ुदा हो गया हूॅं।

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25 JUL AT 21:24

बारिशों के मौसम में तिश्नगी का आलम है,
इन बरसती बूॅंदों में बे-बसी का आलम है।

क्या करूॅं रवानी-ए-अश्क़ जो नहीं रुकती,
ऑंसुओं को पीने से गर्दिशी का आलम है।

क़ैफ़ियत दयार-ए-दिल की बता नहीं सकता,
हर तरफ़ मुनासिब बे-रौनक़ी का आलम है।

क़ैद के परिंदे परवाज़ भर नहीं सकते,
या-ख़ुदा परों में बे-चारगी का आलम है।

इंतज़ार-ए-जानाॅं है मुंतज़िर निगाहों को,
जान के लिए जाॅं में क़ासिदी का आलम है।

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24 JUL AT 0:20

सुलगते बदन का दरमाॅं इश्क़-अफ़शानी लबों से,
होने दे जान-ए-जाॅं आग़ाज़-ए-शहवानी लबों से।

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21 JUL AT 21:10

ज़िंदगी में ना-ख़ुशी का आलम-ए-हंगाम है,
यासियत है और ऑंखों में ग़मों का जाम है।

लाज़मी है तेरा यूॅं मायूस होना जान-ए-जाॅं,
मेरी बाॅंहों में दिल-ए-अफ़सुर्दा की हर शाम है।

इंतिज़ारी है ॲंधेरों के गुज़र जाने की अब,
सुब्ह के चेहरे में ख़ुशियों का छुपा पैग़ाम है।

हम-नफ़स हैं ,हम-कदम हैं, हम-सफ़र हैं हम सनम,
सोचना क्या, जो तेरा है वो मेरा अंजाम है।

मुत्तहिद है जान, बा-हम ही चलेंगे साथ-साथ,
मैं तेरी परछाई हूॅं और तू मेरा अंदाम है।

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19 JUL AT 21:54

ए ज़िंदगी सितम न ढा,
क्या चाहती है ये बता।

यूॅं हारते नहीं ए दिल,
जो भी हुआ उसे भुला।

ताक़त बना तू हार को,
मंज़िल मिलेगी बाख़ुदा।

काॅंटों भरी है ज़िंदगी,
तो क्या हुआ, कदम बढ़ा।

आसान राह छोड़ दे,
होता है तो हो आबला।

काफ़ी नहीं हैं कोशिशें,
इक बार बन जा सरफ़िरा।

सरकश है, तुझ में जोश है,
ले आ जुनून इंतिहा।

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17 JUL AT 23:44

जिनके दरस को तरसे, उन बूॅंदों से भीगा आज तन-मन है,
मिलन की बेला आ ही गई, मेहरबाॅं हुआ मेरा साजन है।

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