जब तक तेरा दीदार न हो।
मेरे अरमानों की महफिल में
कभी ऐसा हुआ नहीं की तू किरदार न हो।-
मैं उड़ता हू ,
इसलिए नहीं की ,
नभ से उड़ते हुए ,
नीचे का नज़ारा ले सकूं।
बल्कि इसलिए की
अपनी उड़ने की इच्छा को
पूर्ण कर सकूं।-
मेरी जिंदगी के बचे पलो
में पता ही क्या होता
अगर इस अधूरेपन ने मुझे
गले न लगाया होता-
आश.. यही है
मेरी खामोशी को समझकर भी
यू अकेला छोड़ जाओगे?
तुम जमाने की भीड़ में नही
मेरी बीरान जिंदगी में ही
खुशी से तरबतर पाओगे
खुदा से बढ़कर,
यू मेरी सांसों में बस जाओगे।
मेरी हर हार में मैं खुद को,
जिम्मेदार मानूंगा।
मेरी हर जीत के हकदार सिर्फ,
तुम्ही कहलाओगे।
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अपनी हकीक़त को,
उससे कैसे बता सकूं।
वो खुद गुलाब है,
कैसे उसको गुलाब दूं।
मेरी जिंदगी में कुछ ही पल है खुशी के,
बिना उसके कैसे पूरा करू।
मेरे हर रोम में बसा है वो,
कैसे में उसको ये बयां करु।
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जब हम किसी दूसरे से प्यार करते है
तो ये रिश्ता सिर्फ दो लोगो में ही सीमित रह जाता है
ओर अगर हम खुद से प्यार करते है
तो ये रिश्ता सारे ब्रह्मांड में फ़ैल(जुड़) जाता है-
तेरी भीनि सी फुसफुसाहट,
है मेरी कनो में।
उफ्फ.. तेरे बदन की खुशबू,
तू है मेरी बांहों में।
सांस भारी हुई तो नींद,
खुल गई।
हकीक़त में तो तू मेरी,
थी ही नहीं कभी।
मेरे इश्क़,
बस मेरा इश्क़ था।
तेरा इश्क़ तो,
किसी ओर के आशक्त था ।
सारी उम्र,
तेरी यादों जिया।
अपने आशुओ से,
अपनी जिंदगी को सिया।
मेरे मोहब्बत ने,
हौसला ऐसा दिया।
तेरे पोते को भी,
इश्क़ का ट्यूशन हमने दिया।
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