चाँद भी चैन से नही टिकता है
जब रात का जुगनू रोता है
Ashish joshi-
किसी से हारा हुआ नही बस बहकावे में आया हूँ!... read more
पंछियों को भी अब घर बदलना पड़ा है।
पेड़ इस बदलते दौर में अब नज़र नही आते।।-
वो बस भी कुछ लग्ज़री लग रही थी।
पास ही सीट पर बैठी तुम परी लग रही थी।।
बातो ही बातो में तुम्हारा शहर आ गया।
मेरे शहर से तो ये दूरी भी कम लगी थी।।
आने वाले कल भी हम साथ होंगे ये सोच रहा था।
जब तुम मेरे कंधे पर कंधा रख कर सो रही थी।।
आने ही वाला था ठिकाना तुम्हारा।
बस मेंरी वापसी से तुम कतरा रही थी।।
संभलकर जाना फोन करना और ना जाने कितना कुछ बोल रही थी।
जब वापसी की बस पकड़ी मुड़के देखा हल्की मुस्कान के साथ रो रही थी।।
मेरे घर पहुंच जाने तक ना जाने कितने कॉल कर चुकी थी।
बहोत याद आ रही है बस एक ही बात बोल रही थी।।
चार घण्टो का सफर भी चंद लम्हो का लगा था।
तुम कुछ भूल गयी थी जो मेने सम्भाल रखा था।।-
लगता है हरकतो में हकीकत है।
क्या जो सब बोल रहे ये सच है।।
में पागल हूँ ये सनु सुनकर तंग हूँ।
तुम्हारा किया फैसला सुनकर दंग हूं।।
एक दिन शेरो-शायरी में ही सिमट जाएगा।
बस जो साथ जिये है वो याद रह जायेगा।।-
तुम चले गए जहाँ मुझे छोड़कर
में रुका हूँ अब भी उसी मोड़ पर।
तुम्हे याद भी ना आती होगी अब
में रो देता हूँ अक्सर यही सोचकर।।-
भोली सी सूरत के साथ आंखों से जो बोलती हो।
धड़कने तेज़ हो जाती है यार जब तुम एक नज़र देखती हो।।-
तुम बिना सृंगार के भी सजी लगती हो।
जब रखती हो सर पे दुपट्टा जैसे कायनात बरसती हो।।-
ये तिरछी नज़रे काजल सुरमा लाली कानो में झुमका रखती हो।
हमे पसंद है ये सादगी तभी सजती संवरती हो।।-
आंखों का काजल क्या कम था जो लाली लगाके आये हो।
कहर तो जुल्फे ऐसे ही बरसा रही है तुम बाल खुले करके आई हो।।-
तुम मुह मोड़कर यूं चले गए जैसे हम गैर है।
जहाँ कभी इश्क़ बस्ता था अब अनजान शहर है।।
मेरी हाँ में हाँ हुआ करती थी आज मेरे खिलाफ है।
तुम ये कर नही सकती जरूर किसी और का खेल है।।
मुझे ही नही मेरा सबकुछ भूला दिया हर तरफ ये शोर है।
में जानता हूँ (टोनु) मुझे कैसे भुलाया मेरी जगह अब कोई और है।।
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