घना अंधेरा छा रहा
चांद भी घबरा रहा
आज उजाले की आस में
अपनी ही चांदनी को तलाश रहा-
देखा नहीं था कोई सपना
आंखों में नहीं था
कोई अपना
जगाया है तुमने नींदों से
चाहत जो हो गई
फिर तुमसे
मुझे क्या पता था
ये प्यार दो पल का था
तुम जो छोड़ गई तन्हा
दिल अब ना कहीं लगता था
मासूम दिल को तोड़
तुम भी खुश ना रहोगी
एक न एक दिन
जरूर तड़पोगी
आया जानकर मुझे करार
ठुकरा दिया
तुम्हीं को तुम्हारा प्यार
सुनो ओ दिलबर
देर से ही सही
अब हिसाब बराबर-
गुजर रहा हूं मैं भी इन हालातों से
निकाल सको तो
निकाल दो मुझे ही अपनी यादों से-
कुछ है मन के अनकहे किस्से
कोई मिला ही नहीं मतलब का
सुनाऊं किसे
तजुर्बा बांट देता
बरसों का कुछ ही मिनटों में
पाने में खो दी है
अपनी खुद की जवानी
किस्तों में
ये जिंदगी की किताब है
समझ आती है थोड़ी देर में
ठोकर लगना भी लाजमी है
यूं ही नहीं पड़े रहते हैं
पत्थर राहों में-
राहों में कांटे बिछे थे
जरूर कुछ पैरों में चुभे थे
दर्द से आह रह गई
निकलते -निकलते
मरहम बन कर
खुशी मिलने चली आई
जो मुझसे-
धूप ने लिखी चिट्ठी दीवारों पर
बरसने को हूं बेकरार
पानी नहीं बनकर आग
अब बचने का कर लो
तुम प्रयास
पर राहत कहां है
छांव में भी
गला सुखा रही है प्यास-
कल का चांद खास था
ओढ़े खुशियों का लिबास था
देखकर ईदी का हुआ आगाज
मुबारक ईद है आज
गले मिलना तो चलता रहेगा
शायद ही कोई
सेवई को ना कहेगा-
कच्ची नींद में सोने वाले
अक्सर तोड़ देते हैं ख्वाब औरों के
खुद बेचैन होकर
चैन लेने नहीं देते
रात-रात भर जगा कर
सोने नहीं देते-