Ashish Jakhmola   (आशीष)
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तल्ख़ ज़बां कहानी कहती है,
हर दर्द जो रूह सहती है।
Joined 26 May 2019


तल्ख़ ज़बां कहानी कहती है,
हर दर्द जो रूह सहती है।
Joined 26 May 2019
21 OCT 2021 AT 14:17

आंखे पढ़ो उनमें क्या छूपा क्या पता,
तुमसे जुड़ा हो मतलब क्या पता,
कोई कुछ पल मांगे तो दे दो उसे,
आगे वक़्त बचा हो कि नहीं क्या पता,

कोई आवाज़ दे तो तुम सुना करो,
तुमसे हो आख़री उम्मीद क्या पता,

मरे हुए को कंधा भी क्या कंधा,
एक हाथ देने से वो जी पाता क्या पता,

मतलब से तो यहाँ सब ही जीते हैं,
तुम बेनफ़्स बनते तो क्या होता क्या पता,

अंधेरे से तो ये सारा जहां डरता है,
तुम मशाल बनते तो क्या होता क्या पता,

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6 MAY 2021 AT 0:42

कहने वाले ने भी गढ़े किस्से क्या खूब है,
हर चौराहें पर सुनता हूँ गुज़र रहा मा'ज़ूब है,

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5 MAY 2021 AT 17:26

जो उसने आँखें मटकाई तो एक शरारा बना,
हर शख़्स जो इस जाल में पड़ा वो बेचारा बना,
हमको तो ये बेचारा बनने से कोई गुरेज नहीं,
कल तक था दिल आवारा लो आज तुम्हारा बना,
हमने तो मान ली तुम्हारी नज़रे मिल्कियत खुदकी,
अब जल्दी बताओ तुमपर कितना हक़ हमारा बना,
इस दुनिया से बाज़ आये तुम्हारी नज़रें तो भला रहे,
न लगेगा अच्छा अगर कोई और भी दिल हारा बना।

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8 FEB 2021 AT 0:44

रस्ता कहा दिखेगा उनमें जिन्हें तुम नहीं दिखते,
अंधेरों में किसी के काले कारनामें नहीं दिखते।

उम्मीद तोड़कर फ़िर खुद उम्मीद ही खुदगर्ज़ी है,
दूरी बनाने वालों को फ़िर अपने पास नहीं दिखते।

जिन्होंने चुराई हो खुशियां ज़रूरत से ज़्यादा,
उनके आसपास फिर खुश होने वाले नहीं दिखते।

वक़्त यही सही है प्यार को प्यार देने का 'आशीष',
कि बिना मुहब्बत के ज़िंदा भी ज़िंदा नहीं दिखते।

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27 SEP 2020 AT 23:43

रात हुई बहुत चलो अब सोते हैं,
सताती बातों से कोसो दूर होते हैं,
याद करने को जो तुम हो तो बहुत है,
खोना ही है तो फ़क़त तुममें खोते हैं।

पुराने नासूर हल्के हुआ करते नहीं,
चलो कमसेकम उनको वक़्त से धोते हैं।

और
तुम शराब नहीं मुहब्बत का शबाब सही,
आओ चलो मेरे सूखे गले को भिगोते हैं।

लाल है आँख ये नींद से भरी भरी,
आराम का सबब है तुम्हारे सपनों में सोते हैं।

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27 SEP 2020 AT 23:15

पानी की भी सरहदें होती तो क्या होता,
मुँह को आने की भी हदें होती तो क्या होता,
जो तुम खाते हो झूठी कसमें बचने को हर वक़्त,
हर झूठ पर डूबने की कवायद होती तो क्या होता।

तुम जो कहते हो कि तुम दूध से पाक सफेद हो,
अगर पानी से झूठ का रंग उतरता तो क्या होता।

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1 JUL 2020 AT 20:02

आग जो लगे तो फ़ैले बहुत,
तपन लपटों की भभके बहुत,
किसी की जान जलाना ज़ाया है,
ऐसे उजाले में काले साये बहुत।

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13 JUN 2020 AT 18:50

दिल लगाए इश्क़ ज़िफ़ा में फ़िरसे गौते गौते,
न मुहब्बत छूटे इस दफ़ा होते होते।

इश्क़ ख़ुदा की मिले दीन को रहमत रहमत,
न टूकड़े बटोरे इस दफ़ा रोते रोते।

बीते ज़िन्दगी मेरी सपने जैसी होले होले,
गौद तेरी हो और सिर टिकाऊ मैं सोते सोते।

हाँ तेरी हो, तू मेरी हो, ये सफर हो तेरा मेरा,
मैं प्यासा, तू नदिया, तुझमें लगाऊँ गौते गौते।

प्यार का पंछी मैं, उड़ जाऊँ तेरे गगनों में,
तू फ़िज़ा हो, मैं अनाड़ी रह जाऊँ तुझमें खोते खोते।

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4 JUN 2020 AT 23:16

When I see a WhatsApp status with a tiktokiya lip syncing on a good shayri with that cringe oooouuuu oooouuu background sound😑😑

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4 JUN 2020 AT 22:58

लाशों पर हाथ सेका और लाखों लाख बना दिया,
कुछ मज़हबी उलेमाओं ने लोगों को राख बना दिया,
उन्होंने खेला और बेवकूफ़ों ने खेलने दे दिया दिल,
भरोसे को फ़िर शांति के शैतानों ने ख़ाक बना दिया।

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