Ashish Gosain   (Ashish)
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Joined 13 December 2020


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Joined 13 December 2020
3 MAY AT 23:01

इश्क़ तुझसे आज भी उतना ही गहरा है, तुझसे मिलने की तलब आज भी उतनी ही है।
बस फ़र्क़ इतना है अब तुझे बताते नहीं, तुझ पर अपना हक़ जताते नहीं।
सागर सा शांत रखते है इस मन को, अब नज़रअंदाज़ करने पर तेरे ख़ुद का दिल हम जलाते नहीं।

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1 MAY AT 23:17

सुलझाते रहे परेशानिया उनकी, देते रहे साथ दर्द मे, कभी ख़्याल आया ही नहीं कि एक दिन छोड़ देंगे वो हमे इसी दर्द के साथ।

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30 APR AT 22:58

ना जाने किस मोड़ पर आ रुके है हम दोनों, ना साथ हैं ना एक दूसरे से दूर। कहने को रिश्ता ख़त्म हुए महीनों बीत गये, एक आस आज भी ज़िंदा है एक दूसरे के एहसास की।

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29 APR AT 22:48

यू ही नहीं अल्फ़ाज़ों मे गहराई आती, दिल मे मोहब्बत की चिंगारी जलाये रखना पड़ता है। मोहब्बत भले ही पास ना हो उसे हर लम्हा दिल मे बसाये रखना पड़ता है|

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8 APR AT 22:03

कुछ इस तरह अधूरी ये कहानी रही….
कभी औरत को शिकायत रही कि वो उसे सँभाल ना सका, तो कभी मर्द को शिकवा कि वो उसे समझ ना सकी। तलाश मे थे बेहतर की दोनो, ना उसे सपनों का राजकुमार मिला, ना उसको अपने ख़्वाबो की राजकुमारी।

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24 MAR AT 0:34

किसी फ़िल्म सी लगती थी कहानी मुझे मेरे प्यार की, की एक दिन आएगी याद उन्हें मेरे प्यार की। मैं बैठा रहा इस आस मे की वो वापिस आएँगे मेरे पास, ठोकर लगी तो होश आया हमदर्दी प्यार नहीं होती और माँग कर तरस मिलता है वो मोहब्बत नहीं होती।

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24 MAR AT 0:03

बेशक तुम्हें प्यार नहीं मुझसे, हमे तो आज भी है। देख कर तुझे बाहों मे किसी और की हम मुस्कुरा सके, अभी इतना भी पत्थर दिल नहीं हुए।

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23 MAR AT 23:59

वो पूछते है अब क्यों दर्द होता है, अब मैं तुम्हारी नहीं। उन्हें कैसे समझाये मोहब्बत वो आज भी है मेरी, बस वो किसी और की बाहों मे उसके रंग मैं रंगी है।

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11 MAR AT 22:21

एक पल मे एक सदी का मज़ा हमसे पूछिए, दूजे पल मे उम्र भर की सज़ा हमसे पूछिए। भूलें हैं रफ्ता रफ्ता उन्हें मुद्दतों मे हम, किश्तों मे ख़ुदख़ुशी की सज़ा हमसे पूछिए। अग़ाज़ ए आशिक़ी का मज़ा आप लीजिए, अंजाम ए आशिक़ी की सज़ा हमसे पूछिए।

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11 MAR AT 22:15

बिछड़ने का फ़ैसला उनका था, थाम कर हाथ किसी और का हिस्से मे उनके ख़ुशिया आयी। ना करना मोहब्बत किसी से बेइंतहा, हमे ये तन्हाई का सबक़ ही काफ़ी है।

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