“कुछ तो बाकी रह जाता है”
अधूरे ख्वाब करे कैसे पूरे,
रात खतम हो जाती है
ख्वाब रह जाता है ।
कुछ तो बाकी रह जाता है ।
कहीं फिर ना हो जाये रात पूरी
नये ख्वाब देखने से दिल घबराता है ।
कुछ तो बाकी रह जाता है ।
कहीं कोई खुद रास्ते बनाता है
तो कोई किसी और के रास्ते मंजिल पाता है ।
किसी का सफर छूट जाता है,
तो कोई सफर में ही रह जाता है
कुछ तो बाकी रह जाता है ।
लोग आते हैं जाते हैं
रास्ता रह जाता है ।
कुछ तो बाकी रह जाता है ।
पहले पाने का डर
फिर पाकर खोने का डर
ना मिले तो किस्मत है खराब,
मिलकर छूट जाये तो किस्मत थी खराब ।
सोचकर खुद को समझाता है
कुछ तो बाकी रह जाता है ।
जो होना था वो होकर
रहता है।
वो सोचता रह जाता है ।
कुछ तो बाकी रह जाता है ।
कहीं पंछी(आत्मा) पिंजरा बदलता है
तो कहीं पिंजरा पंछी बदलता है ।
अकसर पिंजरा रह जाता है
पंछी उड़ जाता है ।
कुछ तो बाकी रह जाता है ।
कहीं कोई खुद शमशान तक जाता है
तो कहीं कोई खुद शमशान हो जाता है
कुछ तो बाकी रह जाता है ।
कुछ तो बाकी रह जाता है ।
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अधर में ही रह गयी अधरो की बात ।
वो सामने बैठे रहे और गुजर गयी रात ।।
लफ्जों से परे रहे सारे जज़्बात
सुबह से मिली ही नही आज की रात ।
एक एक लफ्ज़ लिखा था जुबान पे
कैसे पढ़ते उस किताब को जो बन्द पड़ी थी दुकान में ।
चरागों से ज्यादा जलते रहे अन्धेरा बढ़ता रहा
दिल-ए-मकान में ।
खिड़की दरवाजे बन्द रखे
मेहराब ही उड़ गया आज तूफान मे ।
हम उन्हे वो खुद को बचाते रहे,
अन्दर से भीगे थे बाहर उन्हें सुखाते रहे,
हम छुपाये रहे, उसने अपने राज़ खोले
बरसात के साथ गिर रहे थे ओले ।।
कुछ अलग ही हो रहा था आज की रात ।
एक बूंद ना गिरि इधर उधर
खुस्क रहा शहर मेरे घर होती रही बरसात ।
अधर में ही रही अधरो की बात
वो सामने बैठे रहे और गुजर गयी रात ।
तूफान के बाद सब कुछ वीरान था ।
बाहर शान्ति भीतर शोर घमासान था ।।
दरवाजे खिडक़ी छत दीवारे दरारे यहाँ तक कि आंगन भी हैरान था
मेरी खामोशी से कुछ वो भी परेशान था
भीतर बढ़ता रहा बाहर घटता रहा
अन्धियारा
रोकता भी कोई कैसे आने वाला उजियारा ।
आखिर वो चले गये अपनी नयी सुबह के साथ ।।
मैं काटता रहा अपने हिस्से की रात ।
अधरो मे ही रही अधरों की बात ।
वो सामने बैठे रहे गुजर गयी रात ।।-
आज बहुत दिनो बाद हमने एक दुसरे से नज़रे मिलाई,
फिर साथ मे खूब हसे मुस्कराए ।
थोडी देर साथ मे खड़े रहे तो पता चला की
वो भी उदास था मेरे बिना।
मेरे सारे राज़ पता थे उसे
मेरे बताये बिना ।।
बुरा नही है बस थोडा घमंड जरूर है उसमे,
जब तक मैं ना बोलूं तब तक बात नही करता ।
मुझे मेरी औकात दिखाने से भी नही डरता ।।
पहले मैं डर रहा था उसको दर्द अपना बताते हुए,
क्युंकि मैने देखा है लोगों को मेरे गम पे मुस्कुराते हुए ।
फिर सोचा चलो हिम्मत दिखाते हैं
हाल अपना इसे भी बताते है ।
पर ये तो सबसे अलग निकला
मैं रोया तो इसकी आँखो से भी आंशु बह निकला ।
इसके जैसा इन्सान मिलना एक सपना सा लगता है ।
आईने के उस पार खड़ा इन्सान अपना सा लगता है ।।
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मुझे उठाने आये इन चार लोगों ने
अगर उठाया होता तो आज मैं
उठ नही गया होता ।।
हर बार गिराने वालों ने आज उठाया है
अगर पहले कांधा दिया होता तो
आज मैं कांधो पे नहीं होता ।।
मुस्कुरा कर मिलना मजबूरी थी
क्योंकि मुरझाये हुए फूलों का कोई मोल
नही होता ।
सड़ता नहीं वो फूल अगर ताज़ा रखने
के लिये उसे डुबोया नहीं होता ।।
सोने ना दिया किसी ने की कहीं
सपने ना देख लूं ।
गर एक सपना होता तो मैं
ऐसे ना सोता ।
मुझे उठाने आये इन चार लोगों ने
अगर उठाया होता तो आज मैं
उठ नही गया होता ।।-
आशियाना🏠 लगने लगा था
शमशान की तरह ।
जब जान जान😍 कहने वाले मिले
अंजान🤔 की तरह ।-
अपनी खुशियाँ😊 बेच कर तेरे सारे गम😔 लूँ खरीद ।
फ़ौजी एक तू ही चाँद⛼ मेरा तू ही मेरी ईद🤲 ।।-
की जब इन्तजार था की बारिश थमे तो घर जायें ।
की इन्तजार है की बारिश हो तो घर में रुक जायें ।।-
वो या अली मदद कहती थी ।
मैं जय श्री राम कहता था ।।
वो भोपाल से आयी थी
मैं इंदौर में रहता था ।।-
खुशी मे तुमने हमारी खुदखुशी मांगी
खुशी में तुमने हमारी खुदखुशी मांगी।
तुमने चाहा हम शान्त हो जाये
लो जी हम सुशान्त हो गये ।।
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