Lecture भले ही 45 मिनट का हो,
मगर ज्ञान,मार्गदर्शन और प्रेरणा इतनी की,
संघर्ष से भरे जिवन के इस समंदर में
पतवार बनाकर चल सको।-
Ashish Dhanvijay
(©)
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अच्छा लगता है ज़ज्बातो को शब्दों कि शक्ल देना।
Joined 10 January 2019
23 JUL 2021 AT 11:52
20 MAR 2021 AT 9:38
बहोत विलक्षणीय होते हैं कुछ एक दृश्य ,
जैसे फागुन के माह में पलाश का खिलना।-
11 AUG 2020 AT 20:04
शायर मरा नही करते खिला करते हैं,
जैसे खिलते हैं बागीचे में फूल।-
11 JUL 2020 AT 21:00
तुम्हारा प्रेम सदैव गणित की तरह रहा
आसान तो था, मगर उलझा रहा।-
15 JUN 2020 AT 10:47
ज़हन में बाते हज़ार थी,
मुस्कुराते तो बोहोत थे लबो से
मगर फूर्क़त कभी न बयाँ की।-
20 MAY 2020 AT 20:14
सर पर जिम्मेदारी,
पसीने में सना शरीर,
पाओ में लिये छाले,
दर्द ने घेरा हैं
बडी दूर,,से आये हैं साहेब
मत पूछों के क्या हाल हैं।
मौत करीब हैं
और सफ़र हैं लम्बा,
इ कैमरा सर से हटाओं
और बताओ के वो 'बस' कहाँ हैं...
हमें जाना हैं 'गाँव'
हमें 'घर' की आस हैं।-
10 MAY 2020 AT 0:36
बहोत हैं जहाँ में,
इट,रेती,सीमेंट,मिट्टी से
मकां बनाने वाले,
मकां को मगर 'घर' बनाने वाली
फक़त 'माँ' होती हैं।-
29 APR 2020 AT 15:30
मरते तो सभी हैं जहाँ में इक दिन,
किरदार अच्छा हो तो विदाई हसीन होती हैं।-