Ashish Deshmukh   (आशिष देशमुख)
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Insta Id: kagaj.syahi.kalam
Joined 23 September 2020


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30 JAN 2022 AT 10:32

अंबर अपना निला रंग यूं तो हौले-हौले खोये है...
चांद की इक झलक से ही लाल-गुलाबी हौवे है... — % &

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26 JAN 2022 AT 0:17

यूं तो बर्फिली चादर से ढकी हरीयाली घाटी है...
सैनिक वहां लहू बहाकर उसे तिरंगा कर देते है...

🙏ऐसे शाश्वत यौवन को गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर शतशः नमन 🇮— % &

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23 JAN 2022 AT 21:16

जुगनू जानते हैं अंधेरा उनसे ढल ना पायेगा...
पर वह रात में निकलने का हौसला रखते है...

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21 JAN 2022 AT 1:08

तेरे आखों के समंदर में, मैं गोते लगाता हूं अक्सर...
यूं नजर ना मिलाया करो, पलके कपकपा जाती है...

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14 APR 2021 AT 10:12

जिनकी कलम पर जैसे मां सरस्वती विद्यमान है...
इंसा को इंसा बनाने वालेे वे इंसानो में भगवान है...

संविधान के वास्तुकार थे, छुवाछूत पर प्रखर प्रहार थे...
नये समाज का सपना पाले वे नवनिर्माण की हूंकार थे...

न रहे कोई पिछडा यहा, हर इंसान समान रहे...
विविधता में एकता से ही, मेरा देश महान रहे...

हर धर्म पंथ के धागो को एक दुसरे में बुनता चलू...
महापुरूषो के सपनो को वंदनगीेतो से पूजता चलू...

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14 JAN 2022 AT 5:24

यूं समझकर मैंने पतंग हाथ से छोड़ी...
कि हवा आज उसके घर की ओर है...

🙏मकर संक्रांति की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

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11 JAN 2022 AT 3:35

मैं कागज पर लकीरे खिंचता रहा शौक से अक्सर...
वे अजीब लोग है जो उसमें मेरी तस्वीर खोजते है...

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9 JAN 2022 AT 13:45

तेरे मेरे ओंठो के दरमियां सासों का कोहरा घना है...
धारा १४४ लागु है, तेरा यूं दिल से गुजरना मना है...
सांसो की गुफ्तगू में भावो का बहना तो लाजमी है...
ऐसे बहते हुए दरीया में तेरा उतरता झरना मना है...

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9 JAN 2022 AT 12:25

बरगद खुदका साया तक नहीं रखता...
ता की छाव हरएक के हिस्से की हो...

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9 JAN 2022 AT 12:00

अक्षर अक्षर खत है, इसे कालीदास के मेघ समझो...
प्रेमपृष्ठ पर खिंची गयी, नीरव भावो की रेघ समझो...

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