किसी की बात सुननी है या उसको कुछ सुनाना हैशमा के संग जीना है या उस पर मर ही जाना हैकरनी है मोहब्बत फिर या अबके डर भी जाना हैराहों में भटकना है या वापस घर को जाना हैहाँ, मैं अक्सर भूल जाता हूँ।। - ख़ाक
किसी की बात सुननी है या उसको कुछ सुनाना हैशमा के संग जीना है या उस पर मर ही जाना हैकरनी है मोहब्बत फिर या अबके डर भी जाना हैराहों में भटकना है या वापस घर को जाना हैहाँ, मैं अक्सर भूल जाता हूँ।।
- ख़ाक