खुशनसीब हैं हम जिनको अपने दुनिया की पहचान करना सीखा दिया,
यहां मुफ़्त में कोई कुछ नहीं सिखाता आपने तो खुद को बेवफा बना दिया।
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No this isn't dream this is my reality
Journey from... read more
नजाने तुमसे हम क्या कह बेठे,
मुद्दत से खामोश थे आखिर मे बोल बेठे,
तुम चुप थे हम मौन होकर,
तुम मुझसे और हम तुम पर फना हो बेठे,
फलक तक हो या हो आज शाम तक,
सिर्फ तुम्हारे साथ ही हसींन लम्हा गुजार बेठे,
नजाने तुमसे हम ये क्या कह बेठे,
बेखबर होकर भी एक जंग लड़ बेठे,
हम तुमसे इश्क़ और तुम मेरी रूह बन बेठे,
मुद्दत से खामोश थे आखिर मे बोल बेठे,
ना दूर होने की ना तुम्हे खोने की चाहत हे,
ये सब कब हो गया हम अंजान बन बेठे,
नजाने तुमसे हम ये क्या कह बेठे,
हम तुमसे इश्क़ और तुम मेरी रूह बन बेठे,
अब तुम, संग चल लेना मंजिल तक,
तुम मेरी गजल और हम तुम्हे गा बेठे,
मुद्दत से खामोश थे आखिर मे बोल बेठे,
नजाने तुमसे हम क्या कह बेठे,-
तुम्हारा मेरे साथ होना, उस बात का अहसास होना,
बिन कहे सब समज जाना,
मेरा तुझमे तेरा मुझ मे खो जाना,
अब यही चाहत हे,
मे तुम्हारा तुम मेरे हो जाना,
तुम्हारा ये साथ, सादगी की वो बात,
दिल कहने लगा तुम मे कुछ तो हे अब खास,
तुम्हारा मेरे करीब आना, तेरा मुझ को चुराना,
इस बात को आगे बढाना, यू एक दुसरे को देख के मुस्कराना,
कहता हू वक़्त को की तू अब यही रुक जाना,
जब तुम मेरी बाहो मे आना,
मेरे लबो से तेरा शब्दो का चुराना,
तुम मेरे बन जाओ मे तुम्हारा,
यही हे मेरे दिल का अफसाना,
इस खास दिन मे तुम्हे यही बतलाना,
बहोत कुछ हो तुम बस मेरे करीब आना,
हाथ छोड के कभी ना जाना,
बस तुम मेरे दिल मे बस जाना,
मे तुम्हारा ओर तुम मेरे हो जाना ,
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भरोसे की बात करते हो,
आँखो मे देख तुम्हारी,
हमे पूरी कायनात नजर आती हें।-
शब्दो के मायाजाल मे खुद को छुपा रखा,
कई बार मे खुद से भी झूठ कहता रहा,
सब कुछ अच्छा होगा यह भी कहता रहा,
शायद इससे बहतर लिखा हे यह भी सहता रहा,
शब्दो के मायाजाल मे खुद को छुपा रखा,
रात के अन्धेरे मे कही बार खुद को चुप रखा,
अगले दिन नये सवेरे के साथ फिर से मे खिल उठा,
शब्दो के मायाजाल मे खुद को छुपा रखा,
कई बार मे खुद से भी झूठ कहता रहा,
जो किस्मत मे हे हर तरह से मिल जाएगा,
जो नही हे वो आकर भी चला जाएगा,
यह भी खुद से कही बार कहता रहा,
सच्चाई ईन बातो की मे आज भी धुंढ रहा,
शब्दो के मायाजाल मे खुद को छुपा रखा,
फिर भी खुद को खुद मे धुंढ रहा,
कई बार मे खुद से भी झूठ कहता रहा,
फिर भी खुद को खुद मे धुंढ रहा,-
कभी कभी कुछ सुकून के पल मिल जाते हे,
कुछ अनजान कुछ इस कदर अपने बन जाते हे,
फिर उनसे दूर होने का डर भी दिल मे घर कर जाते हे,
आँखो मे पता नही किस तरह बस जाते हे,
कभी कभी कुछ सुकून के पल मिल जाते हे,
उनकी आँखो मे देखकर चहरा हमारा ना हो,
फिर भी उनमे डूब जाने की ख्वाहिश कर जाते हे,
अंजान से होकर नये रिश्ते को बना जाते हे,
कभी कभी कुछ सुकून के पल मिल जाते हे,
कभी तुम्हारी अनकही हसी के लिये कुछ भी कर जाते हे,
कभी तुम्हारे आँखो मे आंसू देख खुद चुप हो जाते हे,
कभी तुम्हारे होने से सुकून के पल मिल जाते हे,
तुम्हारे ना होने से मेरे सारे अल्फ़ाज रुक जाते हे,
तुम अंजान से खास बन कर,
बहुत बार अनकही हसी बन गये,
शायद तुम्हे कभी अलविदा कह कर भी अलविदा ना कह पाये,
काश उस दिन मेरा चहरा या आंखे कुछ तुमसे कह पाये,
उम्मीद हे तुम्हारी आंखे उन अल्फजो को पढ पाये,
कभी कभी कुछ सुकून के पल मिल जाते हे,
कुछ अनजान कुछ इस कदर अपने बन जाते हे,
मेरे अल्फ़ाज और जज्बात सिर्फ तुम पर
सजदा कर जाते हे,
कभी कभी कुछ सुकून के पल मिल जाते हे,
कुछ अनजान कुछ इस कदर अपने बन जाते हे,
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वक़्त ने तो कभी हालात बदले,
इरादे और जज्बात भी बदले,
कभी खुद की रूह से पुछ लू,
क्या चाहती हे.....
वो कह देती हे तुम अभी भी ना बदले।
रूह कहती हे क्या चाहता हे तू,
जिसकी कमी हे चाहत हे वो नही तेरे नसीब,
खेर मना जो हे नसीब मे सब्र कर,
वक़्त तेरा होगा बस मुज पर यकिन रख।-
।।अनजाना अफसाना।।
तुम अकेले थे,हम तन्हा थे,
मिलकर जुडे इस कदर,अब हम बेपरवाह थे,
तुम्हारा मुस्कुराना, तुम्हारी मासूमियत,
तुम्हारा यूँ खिलखिलाकर हस जाना,
तुम्हारे गाने मे अलग ही अंदाज का झलक जाना,
तुम्हारा पास बेठकर पूरी दुनिया से अलग हो जाना,
बेखबर हे हम मगर,कुछ तो हे हमारा अनजाना सा अफसाना,
तुम्हारे शब्दो का यू धागो मे पिरोना,
मुझे खुद मे जोड़े रखना,हस कर मुझे समझाना,
खुद आँखो मे आँसू लेकर,मुझे प्यार से बहलाना,
मेरे आँखो मे आँसू देखकर,तुम्हारा मुझे यू गले लगाना,
रिश्ता कुछ अलग हे हमारा,कुछ तो हे हमारा अनजाना सा अफसाना,
तुम से तुम, मुझ से मे था,
अब नजाने कब ये सफर हम से था,
शायद, सफर तुम्हारे साथ लम्बा नही,
हसीन हे, बाकी कुछ मुझे परवाह नही,
आँखो मे तुम बस जाओगी,आँखो की चमक तुम बन जाओगी,
किस्मत बहोत हसींन होगी उस इन्सान की,
जिसकी किस्मत की लकिर मे तुम लिखी जाओगी,
रिश्ता कुछ अलग हे हमारा,कुछ तो हे हमारा अनजाना सा अफसाना,
चंचल मन और तेरी कोमल काया,
तुम इतना साफ दिल केसे मुझे इतना ही बतलाना,
तुमने मुझसे ज्यादा मुझ को ढूंढा,
खुली किताब को मानो अपने शब्दो से सिंचा,
तुमको मेने जितना भी पढा,मुजे सब कुछ खुद सा लगा,
रिश्ता कुछ अलग हे हमारा,कुछ तो हे हमारा अनजाना सा अफसाना,
क्या अफसाना हे तुम मुझे बतलाओगी,
अनजाना अफसाना तुम मुझे समझाओगी,-