कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें खुब दी है , तूने ए साल.. कभी हसकर, कभी रोकर तुझे खुब जीया है यार .. कभी अच्छा लगा मुझे तू , कभी लगा बहुत खराब परिस्थिति तो मेरी बदली , और तू होगया बदनाम.. हम मानव है , ए साल अच्छा करते तो अपना बताते, और जब नही तो तुझे दोषी ठराते.. पर जैसे भी है यार हर साल तुझे शुभ नववर्ष कहकर ही मनाते।
कोई जुनून समझता था तो कोई ज़िद कहता था मेरी सिर्फ मुझे विश्वास था अपने इरादों पर क्योंकि , सपना तो मैंने अकेले ही देखा था इस कदर लगन लग गई, उसे पाने की.. की उसे पाने मे ही गुज़ार दी उमर सारी
कभी तो ज़ुबां पर लाओगे जो भरा हुआ है दर्द सीने में , खुद कहकर सबको बताओगे जब सह ना पाओगे तुम ये तकलीफ उस दिन मधुशाला जाओगे, और मदहोशी में अपने राज़ खुद ही खोल जाओगे
ये जिंदगी बीत जाए तेरी बाहों मे बस तू मुझे चाहे , मे तुझे चाहु.. इस कदर डूब जाऊं तेरी आंखों मे जिस कदर शाम ढलती हैं तू संग हैं तो जिंदगी सुहानी हैं तेरे बिन , बेरंग मेरी कहानी हैं