मैं खुद में तब्दीली देख हैरत में हूं,
किसी और के बदलने का क्या गिला करूं?-
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मैं कोशिश थोड़ी करती हूं, एहसास निकल के आते हैं
जब ज़िक्र तुम्हारा करती हूं, अल्फाज़ गज़ल बन जाते हैं।।-
जाने क्यूं मुकम्मल हयात नज़र आती है,
उसमें कुछ और ही बात नज़र आती है,
दुनिया की आबादी अरबों में है तो क्या करूं,
मुझे एक शख्स में कायनात नज़र आती है।।-
ताउम्र का सफर है, ताउम्र लड़खड़ाना है,
ना जीत पे जश़न कर, ना हार से घबराना है,
मंजिल कितनों को मिली, कोई ठहरा नहीं वहां पर,
बस, चूमना है पाला और आगे निकल जाना है।।-
ये उसका दीन है, ईमान है, उसूल है, तमीज़ है,
वो फूल नहीं तोड़ती, दिल तो फिर भी बड़ी चीज है।।-
इश़्क का जज़्बा हो,
मेरे हुस्न की आराइश हो,
तुम ही हंसी की हो वजह,
तुम आंसुओं का बाइस हो,
बेकरारी का सबब हो,
सब्र की आजमाइश हो,
हारा है दिल- तुमपे, तुम्हीं से,
और तुम ही गुंजाइश हो,
तुम ज़िद नहीं हो, ख्वाहिश हो,
तुम ज़िद नहीं हो, ख्वाहिश हो...-
सजदे में सिर झुकाने को इक शख्स काफी है,
आशिकों की हो कतार ये चाहत नहीं है मेरी,
ना करके कुछ के ख्वाब शायद तोड़े होंगे मैंने,
हां कर दिलों से खेलने की आदत नहीं है मेरी।।-
हर खूबसूरत चीज़ को कैमरे में क़ैद करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए,
कुछ चीजें बस आंखों के रास्ते रूह में उतार लेने के लिए बनी होती हैं।-