कितना मुश्किल है यहां अपनी कहानी लिखना
है लहू आंख में और उसको है पानी लिखना!-
सारे आलम में मोहब्बत की घटा छाई है
आप आये तो ज़माने में बहार आयी है,
जब तबियत गमे तन्हाई से घबराई है
हम तेरे साथ है ये उनकी सदा आयी है,
सारी दुनिया की निगाहों से गिरा है बेदम
तब कही जाके तेरे दिल मे जगह पाई है,
हर जगह मेरे लिए सबने बिछाई पलकें
हर जगह तेरी ही निस्बत मेरे काम आयी है,
जो भी आईना मोहब्बत की नज़र से देखा
तेरी सूरत उसी शीशे में नज़र आई है,
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दिलो से दर्द के कांटे निकाल देता है
नबी का ज़िक्र मूसीबत को टाल देता है.
मैं क़ादरी हूं मेरा पीर ग़ौसे आज़म है
लहद से मुर्दे को ज़िंदा निकाल देते हैं!
जहां में आज भी ज़ालिम को डर हुसैन का है
जहां पे होती है मीलाद घर हुसैन का है
हजारों सर है नमाज़े जिन्हें बचती है
नमाज़ को जो बचाले वो सर हुसैन का है!
नबी के लहजे में हैदर भी बात करते हैं
अली के लहजे में असगर भी बात करते हैं
शाहिद होके भी खामोश रह नही सकते
ये कर्बला है कटे सर भी बात करते हैं !!
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हर जगह कामयाबी मिलेगी मुझे मेरी मां मुझको तेरी दुआ चाहिये,‹›‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹‹› कुल जहां मेें सुकुं ना मिलेगी मुझे तेरे आंचल कि ठंढी हवा चाहिये,
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मेरे ऐब सारे छुपा लिए मेरा दर्द सारा मिटा दिया
मैं तो इक बुझा सा चराग़ था मुझे छू के तूने जला दिया
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हक़ीक़त जानकर ऎसी हिमाकत कौन करता है
भला बे फ़ैज़ लोगो से मोहब्बत कौन करता है!
बताओ जिसने तोड़ा हो हमारी इबादत गाहों को
उस ज़ालिम की मैयत पे मातम कौन करता है!
हमारी बर्बादी में था बराबर का वह भागीदार
यैसे वहशी लीडर को मसीहा कौन कहता है!!
अशहर गौहाटवी-
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मुझमें हज़ार खामियां है माफ कीजिये
पर अपने आईने को भी तो कभी साफ कीजिये!-
रहमतों की आई है रात
नमाजों का रखना साथ
मनवा लेना रब से हर बात
दुआ में रखना हमें भी याद
शब-ए-बारात मुबारक ❤️-
अपनी सारी मुश्किलें मुश्किल कुशा पे छोड़ दें
फैसला जो होगा हक,वो तू खुदा पे छोड़ दें!
दास्तां इस्लाम की तुझसे अगर पूछे कोई
बात मदीने से शुरू कर और करबला पे छोड़ दें!!
लब्बैक या रसूल अल्लाह ﷺ-
दिल मे ना हो जज़्बात तो उल्फत नही मिलती
बदनाम गर ना हो तो फिर शोहरत नही मिलती,
कुछ लोग हमसे शहर में रहते हैं खफा खफा
अपनी भी तो हर एक से तबियत नही मिलती!-