मनहर मनभावन मीत सखी
मधु की भाँति मंडराये रहे
मन के मचान पे उड़ उड़ के
मोहे मदिरा देत पिलाय रहे-
आज नहीं तो.. कल होता है
हर मुश्किल का हल होता है
कैसा भी हो वक्त कठिन पर
कोई तो अपना पल होता है-
बादल, बिजली, अम्बर, पानी
फूल, चमन और महक दिवानी
शून्य हो जाता है सब कुछ
तुम बिन जैसे हो प्रेम कहानी-
सुबह के आते ही गर्म धूप आंखें तरेर गई
धरा के सीने पे कितनी ही दरारें उकेर गई
इससे पहले कि रंग उड़ जाता लहू का मेरे
फाल्गुनी शाम जो उतरी तो रंग बिखेर गई-
कतरा कतरा दिन बीता
सरक सरक कर रात
ज़र्रा ज़र्रा ढली ज़िन्दगी
रेज़ा रेज़ा जज्बात-
मौन की परिभाषा बताओ
अव्यक्त में कुछ व्यक्त सा
और मुखर में शब्द होता है
किसी गहरे सन्नाटे के जैसा
कशमकश में बीत गया पल
किस के सिर पर बोझ धरें
इन पथराये पलों में हम
बात करें तो किससे करें-
ये जो मुख्तसर सी है मेरी ज़िंदगी
तेरे इश्क में
यूं लग रहा जैसे फैला आसमान है
तेरी मस्त नज़र और ये तेरा बांकपन
एक प्यास सी
दीवाने दिल की चाहतों में शुमार है-
दास्तान दिल की जान जाते तो अच्छा होता
हमने मुद्दत से तुम्हें इक ख्वाब में संजोया है
ये हकीकत भी पहचान जाते तो अच्छा होता-