बूंदे बन कर बरस गईं
वो दुआयें जो तुमने दी-
asha gupta
(आशा गुप्ता 'आशु' अंडमानी)
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पत्रकार, अभिनेत्री, लेखिका, कवियित्री, थियेटर डायरेक्टर
Joined 9 October 2018
21 AUG AT 23:07
बाहर फैला उजियारा है
बह रही हर्ष की धारा है
लगता है बिछ गई जैसे
हो चांदनी की है बिसात
भीतर भीतर नमी समेटे
कालिमा में खुद को लपेटे
अंधकार को रख सिरहाने
कहीं अंदर पड़ी है रात-
18 AUG AT 12:31
मेरे ज़ज्बात, मेरे एहसास के घेरे में,
मेरे हिस्से की प्यास भर जाए
दर्द इतना बढ़ जाए मेरे सीने में कि
मेरे होंठो पर मुस्कान ठहर जाए ..-
29 JUL AT 20:29
खींच कर खंजर नयन खगकामिनी
खंड खंड अचरा खिसकाय रही
खोल खगोल खरी सम खंजनिका
खन खन कंगना खनकाय रही-
12 JUL AT 13:07
हर रिश्ते की एक मियाद होती है
वक्त के साथ फिर बस याद रहती है
.. बेसबब होता है उम्रभर का वादा..-