बेवजह कुछ नहीं होता,हर चीज़ की एक वजह होती है।— % & -
बेवजह कुछ नहीं होता,हर चीज़ की एक वजह होती है।— % &
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राम बनना सबके बस की बात नहीं है -रावण बनने के लिए दूसरों को अंगारों पर चलाना पड़ता है,राम बनने के लिए खुद अंगारों पर चलना पड़ता है। -
राम बनना सबके बस की बात नहीं है -रावण बनने के लिए दूसरों को अंगारों पर चलाना पड़ता है,राम बनने के लिए खुद अंगारों पर चलना पड़ता है।
कब तक पुतलों में रावण को जलाओगे,खुद के अंदर के रावण को भी जलाने का प्रयास करो। -
कब तक पुतलों में रावण को जलाओगे,खुद के अंदर के रावण को भी जलाने का प्रयास करो।
ये दास्तां भी बड़ी अजीब है इंसानों की,जिसके पास शख्स है उसे मुहब्बत नहींजिसे मुहब्बत है उसके पास शख्स नहीं। -
ये दास्तां भी बड़ी अजीब है इंसानों की,जिसके पास शख्स है उसे मुहब्बत नहींजिसे मुहब्बत है उसके पास शख्स नहीं।
वक्त वक्त की बात है जनाब,हर वक्त पर वक्त वक्त की ख़बर लेने वालों को,अब वक्त ही नहीं मिलता वक्त पर ख़बर लेने की। -
वक्त वक्त की बात है जनाब,हर वक्त पर वक्त वक्त की ख़बर लेने वालों को,अब वक्त ही नहीं मिलता वक्त पर ख़बर लेने की।
एक दफा आ तो सही मेरे हिस्से का वक्त लेकर,बातें तो बेइंतहां करनी थी तुझसे। -
एक दफा आ तो सही मेरे हिस्से का वक्त लेकर,बातें तो बेइंतहां करनी थी तुझसे।
आँखें ज़मीन पर टिका कर चलने की आदत तो हमें भी नही थी जनाब,मगर फितूर-ए-इश्क़ ने इसे भी फितरत बना दिया। -
आँखें ज़मीन पर टिका कर चलने की आदत तो हमें भी नही थी जनाब,मगर फितूर-ए-इश्क़ ने इसे भी फितरत बना दिया।
क्या कहा- तन्हाईयों का डर ख़त्म हुआ!मुबारक हो जनाब, ज़िंदगी का एक और सफर ख़त्म हुआ। -
क्या कहा- तन्हाईयों का डर ख़त्म हुआ!मुबारक हो जनाब, ज़िंदगी का एक और सफर ख़त्म हुआ।
जिन अपनों को साथ ले चलने के लिए हम सफ़लता से इतने दूर रह गए,धीरे धीरे वही अपने गद्दार होते जा रहे हैं। -
जिन अपनों को साथ ले चलने के लिए हम सफ़लता से इतने दूर रह गए,धीरे धीरे वही अपने गद्दार होते जा रहे हैं।
समझ अगर समझ सके खुद को,दूसरे समझें! उन्हें इतनी समझ कहां? -
समझ अगर समझ सके खुद को,दूसरे समझें! उन्हें इतनी समझ कहां?