कि रोशनी भी आँखो को चुभने लगी है
मुझे इस अंधेरे की आदत ऐसी पड़ी है।
तुम आओ तो मेरे दिल पर एक गुलाब रख देना,
की मेरे दिल में मेरे ख़्वाबों की लाशें गड़ीं हैं।
मुर्दे में फूको कितनी भी जान ज़िंदा नहीं होता
जो जिंदा था, उसे अपनी जान देनी ही पड़ी है।
मंदिर गया था मैं कल तुझे ढूंढ़ते ढूंढ़ते
वहाँ भी तेरी जगह मगर, खाली ही पड़ी है।
कब के मर चुके हैं हम, और तुम बोलते हो
की तुम्हारे आगे तो पूरी ज़िंदगी पड़ी है ।
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उस आसमाँ की किसी ताकत को शरारत सूझी,
कि इस ज़मीं के किसी इंसाँ को तबाह किया जाए-
निर्भय होने का सुख में नहीं जानता
भयभीत हूँ मैं
भविष्य से, वर्तमान से
पशु से, इंसान से
सर्वत्र व्यापी वायु से
हर क्षण बढ़ती आयु से
पदभार सहती धरती से
पालन करती प्रकृति से
हर एक ज्ञात - अज्ञात मुख से
जीवन के प्रत्येक सुख - दुःख से
भयभीत हूँ मैं-
A being,
Whom nobody has ever seen
Or even imagined,
Is sleeping an eternal sleep
This world is his dream.
This is his creation.
He's never been awaken,
Not yet.
When he wakes
This world will cease to exist.
This dream will end.-
यूँ तो क़ैद था मैं भी
तुम्हारी ही तरह,
मगर इन किताबों ने मुझे
आज़ाद कर दिया।-
दिल मेरा काँच की नाज़ुक एक बोतल,
उसमें में जुगनुओं सी जगमगाती तेरी यादें।-
तुम हो हृदय की बंजर भूमि पे जीवन की तरह
पुरानी दीवारों की दरारों से निकले पीपल की तरह-
हूँ बेसब्री से उस दिन के इंतज़ार में मैं,
जब मैं कहूँ "मैं ठीक हूँ", मैं ठीक हूँ।-
घृणा एक बूढ़े वट वृक्ष के समान है जिसका नाश करना कठिन होता है, और प्रेम एक पुष्प की लता के समान, जिसकी निरंतर देख-भाल करनी पड़ती है।
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