Asad Rehman   (मासूम परिंदा)
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Joined 4 February 2019


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Joined 4 February 2019
29 JAN 2021 AT 20:04

मोहब्बत ये नहीं के
सुहाना समां, हसीन तुम, जवान दिल, हाथ में गुलाब,
मोहब्बत तो ये है के
रोता मन, दूर तुम, बेचैन दिल, साथ में शराब।

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30 OCT 2020 AT 23:12

मुफ़्त नहीं है इश्क़ यहां,
कुछ कीमत हमनें भी चुकाई है,
जिस खेल में हार निश्चित हो,
वहां तक जान की बाजी लगाई है।

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23 JUL 2020 AT 23:14

मोहब्बत तो मैखाने में दिखती है,
चंद दामों पर खुशियां बिकती है,
धर्म-जात ऊंच-निच सब पीछे छूट जाते हैं,
बस बोतलें खुलती हैं और यारियां होती हैं।

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21 JUL 2020 AT 23:23

चलो दो लफ्जों में अपनी कहानी सुनाएं,
मैं सूरज वो रात अब और क्या बताएं।

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13 JUL 2020 AT 21:56

इमरोज़ मैं बेहोश हुं,
या मोहब्बत में सरफ़रोश हुं,
वाक़िफ हुं तुम्हारी बेवफाई से,
पर मैं तुझमें ही मदहोश हुं।

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13 JUL 2020 AT 21:30

आप मैं और आशिकाना समां,
यहीं ख्याल बना मेरा इकलौता गुनाह।

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23 JUN 2020 AT 22:31

भरे हुए हैं मैखाने, सारी बोतलें खाली पड़ी है,
लगता अब रिश्तों में भरोसे की बहुत कमी है।

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23 JUN 2020 AT 1:18

अपनी इस मुस्कान के पीछे
हजारों दर्द छिपाएं बैठे हैं,
दिल किसी और पर खोकर
दिल किसी और से लगाएं बैठे हैं।

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31 MAR 2020 AT 18:33

खुदगर्जी छोड़ी खुद्दार बना,
खुद्दारी छुटी जब प्यार किया,
प्यार किया तब दर्द मिला,
दर्द मिला तो खुदरंग बना।

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24 MAR 2020 AT 15:10

इश्क़ की बाज़ी में, जान दाव पर है,
जीत गए तो जन्नत, और हार गए तो आज़ादी।

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