... और फिर जीवन की तमाम रातों में ऐसी भी रातें आईं जिसके हिस्से में अंधेरे ज़्यादा रहे।
पूरे साल की सबसे सुंदर सुबह और सबसे प्यारी शाम मुझे अक्टूबर की ही लगती है।
सुबह की बेला में वह हरश्रृंगार के फूलों की सुगंध, ओस की बुंदों की चमक और शाम को पूजा की आरती की रमक कितना अधिक भाति है न। अक्टूबर शांति का महीना है, हर्षोल्लास का महीना है, खुद को संवारने का महीना है, एक बेहतर आने वाले कल के लिए खुद को बनाने का महीना है।
यकीन मानिए यह आपका महीना है ।
इस महीने में शायद वो रातें भी आपके हिस्से आएंगी जिसमें रौशनी थोड़ी कम रहे, जिसके हिस्से में शायद अंधेरा ज्यादा घना रहे। पर यकीन मानिए हर रात का सुबह है। हर दुःख आने वाली एक बड़ी खुशी का रास्ता संवारने का काम करती है।
......"भूतकाल में जाकर देखें, सारे फिक्र नाजायज थे..."
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Writer|Motivator|Counselor|Political Analyst। Engineer
चाय, उ... read more
मैं बरश छोड़ चुका आख़िरी तस्वीर के बाद
मुझ से कुछ बन नहीं पाया तिरी तस्वीर के बाद
मुश्तरक दोस्त भी छूटे हैं तुझे छोड़ने पर
या'नी दीवार हटानी पड़ी तस्वीर के बाद
यार तस्वीर में तन्हा हूँ मगर लोग मिले
कई तस्वीर से पहले कई तस्वीर के बाद
दूसरा इश्क़ मयस्सर है मगर करता नहीं
कौन देखेगा पुरानी नई तस्वीर के बाद
~Umair Najmi-
मैं ओस की बूंदों और घास के बीच की प्रेमकहानी जी रहा हूँ,लिखोगे?
(I am living a love story between dew drops and grass, will you write?)
मैं चीटियों की रानी और पहाड़ों के राजा के बीच एक प्रेमकहानी लिख रहा हूँ,सुनोगे?
(I am writing a love story between the queen of ants and the king of the mountains, will you listen?)
मैं उसकी तस्वीर और अपनी आंखों के बीच एक प्रेम-कहानी बुन रहा हूं,उसे जाकर कहोगे?
(I am weaving a love story between her photo and my eyes, will you go and tell her?)-
उसकी आंखें ऐसी जैसे झील से गिरता पानी,
एक बार वह हँस दे तो सारी हारी हुई बाजी भी मेरी,
जब भी गुस्से में वो मुझको ताके तो मेरी आंखें उसकी पाज़ेब थामे।-
एक मुद्दत बाद कोई याद आया
एक मुद्दत बाद हमने कलमें थामी।
वह ठीक है भी या नहीं
यह बात कौन उससे जाकर पुछे!
कौन उसके नींदों की मुझको आकर गवाही दे।
एक लौ जो बुझ चुकी थी
ना जाने उसमें किसने फिर चिंगारी लगाई।
मैं जिस चीज़ से डरता था
आज वह सोचता हूं
सोचता हूं तो फिर डरता हूं
इस डर से मुझको कौन बाहर निकाले
कौन उसको जाकर यह सब बतलाएं।।
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दिल के खुबसूरत होते हैं वो #लड़के जिन्हें नही पता होता की अपनी मोहब्बत कैसे जताना है..किसी को रूठने के बाद कैसे मनाना है.., माँ को गले कैसें लगाना है...
बातों बातों मे बस मुस्कुराने वाले लड़के,,
फिक्र हर पल होने के बाद भी संकोच जताने वाले लड़के..
दिखावा की दुनिया से दूर सच्चा प्रेम पर भी हिचकिचाने वाले लड़के..
किसी के दूर जाने पर सिसक सिसक के रो जाने वाले लड़के,,,
सोचो कितने शाँत होते हैं वो लड़के
रातों को बस गाने सुन कर सोते हैं वो
अकेला पन जब चुभता है
सिर्फ़ माँ से बात करने वाले लड़के.. 🖤
तुम ऐसे क्यूँ हो लड़के?
तुम्हारी झुकीं नजरें ही हमे तुमसे प्यार करने को मजबुर करती है..
बेहद प्यारे हो तुम, तुम्हारा शर्माना बिल्कुल उस छोटे बच्चे सा लगता हैं जिसका दिल साफ़ है।
ऐसे ही रहना लड़के तुमसे ही हमारी दुनिया
खुबसूरत है-
तुम्हारे भीतर एक छोटा सा बच्चा है!
ऐसा बच्चा जिसके आखों में कभी शरारत की चमक आती है,
जिसके चेहरे पर कभी परेशानी की कोई रमक आती है ,
तो साथ बैठे शख़्स का हाथ इस तरह थाम लेता है जिससे सारी परेशानियां हल हो जाएंगी।
कभी उकेरा नहीं तुम्हारा चेहरा
कल्पना की अंतहीन गुफ़ाओं की दीवारों पर,
न तुम्हें ढूँढ़ने की कोशिश में नींदें गिरवी रख
ख़रीदे कभी सपने
और न ही प्रार्थनाओं के टीले पे खड़े होकर
पुकारा तुम्हें कभी भी
मेरे लिए
तुम्हारा मिलना उतना ही सहज था
जितना सहज होता है मौन को सुन पाना,
किसी पानी भरे थाल में उतार लाना चाँद को,
हिरन का ढूँढ लेना
अपनी ही नाभि में छुपी कस्तूरी
या बन्द आँखों से देख लेना
मीलों दूर बसे प्रियतम की मुस्कान
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कभी उकेरा नहीं तुम्हारा चेहरा
कल्पना की अंतहीन गुफ़ाओं की दीवारों पर,
न तुम्हें ढूँढ़ने की कोशिश में नींदें गिरवी रख
ख़रीदे कभी सपने
और न ही प्रार्थनाओं के टीले पे खड़े होकर
पुकारा तुम्हें कभी भी
मेरे लिए
तुम्हारा मिलना उतना ही सहज था
जितना सहज होता है मौन को सुन पाना,
किसी पानी भरे थाल में उतार लाना चाँद को,
हिरन का ढूँढ लेना
अपनी ही नाभि में छुपी कस्तूरी
या बन्द आँखों से देख लेना
मीलों दूर बसे प्रियतम की मुस्कान-
तुम्हारे भीतर एक छोटा सा बच्चा है!
ऐसा बच्चा जिसके आखों में कभी शरारत की चमक आती है,
जिसके चेहरे पर कभी परेशानी की कोई रमक आती है ,
तो साथ बैठे शख़्स का हाथ इस तरह थाम लेता है जिससे सारी परेशानियां हल हो जाएंगी।
तुम्हारा आना जैसे नवंबर की शुरुआत
ठंड की वह रात
जैसे सुबह की पहली ओस।
तुम्हारा साथ रहना जैसे रात की रानी का सुगंध,
जिस सुगंध से न भरता हो मन ना उसे छोड़ कर आगे बढ़ने की हो इच्छा ।
तुम्हारा मिलना जैसे दशवी के बच्चे का ख्वाब,
जिसके लिए वह कुछ भी कर गुजरने की चाह रखता हो।
तुम्हारा मेरे हाथ को मुश्किलों के वक्त थामना, जैसे लगे इस दुनिया में तमाम दुखों के बावजूद एक ऐसे किसी का होना जिसके लिए इस दुनिया तक से हो लड़ जाना।-
एक अरसे से इंतजार था उस एक शख़्स का,
एक अरसे से वो जो एक शख़्स मुझसे दूर था।
वह जो मेरे साथ रहकर भी कहीं और था....
वही एक शख़्स था जो मेरे सबसे करीब था।
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