Aryan Tripathi   (आर्यन एक अनभिज्ञ✍️✍️✍️✍️)
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Joined 2 September 2019


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4 JAN 2023 AT 15:14

*बड़ी तबीयत से उछालते हैं वो सिक्के रुसवाई के।।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
नासमझ मैं तनहा रातों में रौशनी पे ऐतबार किए जा रहा ।।।*

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25 DEC 2022 AT 21:38

कौन कहता है ज़माना साथ न देता ,,

जरा तबियत से शोहरत का सिक्का उछालो तो सही,,,

जिंदगी खुद तुम्हें आजमाकर तुम्हारी होने पे मजबूर हो जाएगी,,

बस एकबार जीत की चाहत नहीं ज़िद पालो तो सही।।।

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18 DEC 2022 AT 20:01

सुना है गुलज़ार करता है वो रहनुमा बनकर हर किसी का आशियाना,,
😥😥😥😥😥
बस फक़त मेरा ही रकीब शायद उसे परदे में दिखा ।।

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17 DEC 2022 AT 0:26

संगदिल ही तो है ये जमाना अभी जो मुरव्वत को मोहब्बत का फसाना बताता,,
✍️✍️✍️
वरना कभी आंखों में आसूं की जगह निगाहों का खून थोड़ी होता ।।

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3 DEC 2022 AT 14:50

सुना है वो अपनी रहमत से गुलजार करता है फिजाओं को,,
जो बन जाता है पत्थर उन्हें परवार करता है मोहब्बत की वफाओं को,,
मैंने भी तो तुम्हें माना है उसी खुदा की रहमत का आईना,,
अब तुम ही बताओ कोई कैसे करता प्यार बेइंतहा यूं मुफलिसी अदाओं को।।।

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5 NOV 2022 AT 20:49

विषाक्त हूं सशक्त कैसे बन जाऊं,,

आशक्त हूं विरक्त कैसे बन जाऊं,,

हो जाती हैं परिस्थितियां यदा कदा विपरीत,,

पथिक हूं मार्ग का विभक्त कैसे बन जाऊं।।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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31 OCT 2022 AT 19:17

रंगों में रंग भरके भी अपनी रंगत न छोड़े जो ऐसा विचार बनो,,
व्याधि को जो व्याघ्र बना दे ऐसा तीव्र तीक्ष्ण प्रहार बनो,,
जैसे वर्षा की बूंदों में भी सूर्य को एक नवीन आयाम देता है वो इंद्रधनुष,,
ऐसे ही प्रत्येक कलुषित भावों में चमक उठे स्वयं का व्यक्तित्व ऐसा ही व्यवहार बनो।।।

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27 OCT 2022 AT 19:14

व्यथित न हो पथिक तुम अपनी हार से,,

करो प्रत्येक शिला का मर्दन अपने दृढ़ प्रहार से,,

अचल भी चल में परिवर्तित हो जाए ऐसा निर्माण करो अपने व्यवहार से,,

कि निर्वाण स्वयं तुम्हें निर्माण दे बस तुम्हारे उत्तम विचार से।।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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3 OCT 2022 AT 20:59

वो अर्ध नग्न दिखते हम पूर्ण नग्न हो जाते,,

वो भोर पहर की ज्वाला में , हम भरी दोपहरी चिल्लाते ।।

करके नाद धर्म भावों का,, हम स्वप्नों की ज्वाला भड़काते।।।

कह दो फिर से वो रावण का है वंशज , जो मां सीता को भरे मंच पर हैं नचवाते।।।

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31 AUG 2022 AT 16:42

आंखों में आसूं देने की ये रिवायत कैसी,,
हर तरफ खून बहाने की ये इनायत कैसी,,
कहते हो जान से भी प्यारा है वो मुझे,,
फिर उसी जान की जान लेने की ये इबादत कैसी।।

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