तन्हाई की वीरान सड़कों पर
उसे फिर घूमता पाया है.-
कैसे करू मैं खुद को तेरे काबिल ऐ जिंदगी जब मैं अपनी आदतें बदलता हूं तू शर्तें बदल देती हैं
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बंद यादों का दरवाजा हमने बंद ही रहने दिया था पर ये दीमक उस दरवाज़े को हर क्षण खाती गई।
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कभी-कभी लगता है कि ये शहर घास का एक बड़ा सा ढेर है जिस में कहीं सुईं की तरह गिरकर खो गई है मेरी ज़िंदगी जो कमबख्त बहुत ढूँढने पर भी नहीं मिलती
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मुझसे मेरा इतना तो वास्ता रहने दे मुझ तक पहुँचने का कोई रास्ता रहने दे बर्बादी की पैदाइश नफ़रत का पाला-पोसा हूँ आशिक आएगा तो क्या सोचेगा? हाथ में बहकावे का एक गुलदस्ता रहने दे तुझे देखा भी इतना कि आँखें तेरी हो जाना चाहती हैं तू नींद रख ले मेरी सपनों का बस्ता रहने दे सपने टूटते मैंने कच्ची उमर से देखे हैं
ऐसा दाम ना लगा मुझे सस्ता रहने दे मंज़िल ना बना किसी की चौरस्ता रहने दे-
रंगों से पहले कोई उसकी पहचान न थी
शायद चेहरे बदल रहा हर रंग में वो सादा सा आदमी-
मोहब्बत हो तो राधा जी कृष्ण जी जैसी
और साथ हो तो शिव जी पार्वती जी जैसा-
मुझे कोई भी जल्दी नहीं
तुम आना इत्मीनान से
अपनी सारी बातें बताना इत्मीनान से
इस घर में न जाने कब से कोई आया नहीं
तुम थोड़ा वक्त लेकर आना इत्मीनान से
तुम इस खाली कमरा को सजाना इत्मीनान से
बहुत वक्त हुआ किसी भी किताब को पड़े हुए
तुम कोई प्यारी कहानी सुनाना इत्मीनान से
मेरे यहां वक्त को बीटने की जल्दी नहीं
जब आना मेरी जान तुम
तब रुक जाना इत्मीनान से
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वो अक्सर लोग कहते हैं ना,
कि यार वक़्त नहीं मिलता
इसीलिए बात नहीं किया करते
हम तो बहुत अच्छे दोस्त हैं यार
इसीलिए रोज रोज याद नहीं किया करते
मैंने सोचा ये कौन-सा वक़्त है
जिससे कभी मैं नहीं मिला
वक़्त नहीं मिला वाला वक़्त
ओह! वो शायद गुज़रा ही नहीं कभी मेरी गली.-