किताबों में खोया हुआ हूं,
निकल तो आया गांव से शहरों में,
समझ में नहीं आती है शहरों की गलियां,
उड़ने के हूं फिराक में कुछ परिंदों को देख,
मुझे लगता है मैं वह परिंदा हूं जो सोया हुआ हूं !-
लखनवी मिज़ाज़ हैं हमारा हम दिल मे हंसरत और मोहब्ब... read more
कागज़ के पन्नो पे उतारे हुए,
गाँव से दूर आगया शहर में तुम्हरे
लिए,वादा किया था ले आऊंगा गाँवओ
से झुमका तुम्हारे लिए, ख़ो गया हूँ शहर
की गलियों में तुम्हारे लिए,तुम नज़र जो चुराते
फिर रहे हो क्या फायदा इस परदे का ख़ुद की
महफ़िल रुख़सत किये जा रहे हो हमारे लिए !
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खाली बोतले मिली,
एक तरफ से मिला पैमाना इश्क़ का,
करते भी क्या दोस्तों गुलदस्ते में मिला
जहर इश्क़ का !-
अब और ख़ुदा से क्या मांगू,
बारिश भी है धूप भी है, अब
क्या हवाओं का झोंका मांगू !-
एक प्रेम कहानी हो जाए,
किसी को मार लेने दो पत्थर कोई
विष का प्याला पी जाएं , कोई
हीर - रांझा बनकर नफ़रत की दुनियाँ
में जी जाए, शाम सुहानी हो जाए,
एक प्रेम कहानी ही जाए !
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हवाएं बदल गई हैं,
मौसम की चलती फिजाएं
बदल गई है,मैं इंतजार करता
रह गया बरसात का,बाहर निकला
तो देखा नदियों की धाराएं बदल गई है !
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शीतल जल सी सिफारिश थी,
आबो हवाओं में मिट्टी की ख़ुशबू थी
लहरों से टकराता हुआ किनारों पे निकल
सकूँ ऐसी गुज़ारिश थी !— % &-
हकीकत छुपा रहा है आईना,
मेरी तरह झूठा मुस्कुरा रहा है
आईना, नजरे झुकी है फिर भी
नजरों से नजरें मिला रहा है आईना !— % &-
हम तो निकले थे सफर के लिए,
रास्ते अंजान मिलते गए, कभी
था उजालों का पहर कभी अंधेरों
की छांव में रास्ते सुनसान मिलते
गए, डगमगाने लगा था कभी कोयल
की कुहू कुहू मेरे हौसलों में उड़ान
भरते गए,हम तो निकले थे सफर के
लिए, रास्ते अंजान मिलते गए !— % &-
कुछ उम्मीद थी अपनी ज़िन्दगी
से आज ओ भी टूट गई, सोचा
मुस्कुरा लूँ लगता है मुस्कुराहट
भी कहीं पीछे छूट गई !— % &-