कबुतर बोला ईन्सान से।
कबुतर बोला ईन्सान से ए आदी कालीन युग के देवदास इस युग मे भी चिठ्ठीओ से आस।
अब मै ऐसी फालतु उडान नही भरता ,मै खुद अपनी कबूतरी को व्हाट्सअँप करता हू।
हर फैसला होता नही सीक्का उछालके ए दिल का मामला है जरा देख भालके,मोबाईल के आशिक को क्या पता कैसे रखते थे खत मे कलेजा निकालके।
कबूतर बोला ईन्सान से अब ना करू मै काम चिठ्ठीया पोहचाने का,अब तो वक्त नही मीला करता क्युकी अब तो मै भी दिन भर आँनलाईन रहता कबुतरी कीaa\æ आँनलाईन आने की आस मे।
दिन याद है मुझे जब ईन्सान जवाब आने का इंतजार कर बैठता, सायद वह दिन खुब थे कम से कम बाते दिलसे निकलकर पन्नो पर आ जाती थी।
ईन्सान आज जो बाते मोबाईलपर लीखकर भेजता अफसोस वह बाते दिलसे नही निकला करती
कबुतर बोला ईन्सान से....
-