Arvind Upadhyay   (अरविंद उपाध्याय)
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Joined 23 December 2017


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Joined 23 December 2017
20 AUG 2020 AT 4:37

ऐ मिट्टी के शख्स..

तुझे आँच में तप कर
लाल ईंट की भाँति मजबूत बन जाना है,
न बनना तू वे मटकी या कुल्लड़
जिसे आँच में तपने पर भी
कुछ पलों के बाद फिर से
मिट्टी में मिल जाना है।

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18 JUL 2020 AT 2:38

जिंदगी भी मानो इतवार की शाम सी हो चली है,
हर पल फ़िक्र बस कल की लगी है।

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17 JUL 2020 AT 1:44

सिर्फ ख़्वाब ही तो हैं जिन्हें देखने के लिए आँखों की जरूरत नहीं है।

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16 JUL 2020 AT 1:35

लाख लोग, लाख खुशी की परिभाषाएं

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29 APR 2020 AT 23:09

आँखें नम हुईं और दिल भी मेरा रो गया
ज़मीं का सितारा, आज आसमां का हो गया।

(Tribute to Irfan Khan)

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17 FEB 2020 AT 23:13

दरवाजे के पीछे खड़े होकर तांकने लगे बच्चे,
लगता है आज शहर से कोई गाँव आया है।

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17 FEB 2020 AT 1:26

पतझड़ में झड़ गए सारे पत्ते, बस खड़ा रहा पेड़ और डाली रह गई
टूट गए रुपयों पर बने रिश्ते, कुछ पल मेरी जेब क्या खाली रह गई।

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15 FEB 2020 AT 23:57

हर कोई नहीं चाहता आसमाँ में रहना, ये कोई बारिश की बूँदों से पूछे।

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14 FEB 2020 AT 23:35

पैसे लेकर सलामती की दुआ देने वाले, ख़ुदा से खुद के जख्म न भरने की दुआ माँगते हैं।
मालूम है उन्हें भी अब सिर्फ जख्म ही उनका पेट पाल सकते हैं।

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14 FEB 2020 AT 0:41

इतना यक़ीन खुद पर करते थे
कि तेज बारिश में भी कागज़ की कश्ती पानी में उतार दिया करते थे।

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