फिर दिल्ली में दंगा होगा
धर्म आज इक नंगा होगा, फिर दिल्ली में दंगा होगा
विष बीज यहां बांटे जाएंगे, जाती धर्म छांटे जाएंगे
जो विरोध के स्वर उट्ठे जो, सर धड़ से काटे जाएंगे
धर्म विशेष का पक्ष साधकर, फिर से जमुना गंगा होगा
धर्म आज इक नंगा होगा, फिर दिल्ली में दंगा होगा
मौन साध कुछ रह जाएंगे, रात कचहरी खुलवाएंगे
हेडमास्टर का बच्चा है वह, सभी एक स्वर में गाएंगे
फिर कहीं एक द्रौपदी होगी, धर्म विशेष का जंघा होगा
धर्म आज इक नंगा होगा, फिर दिल्ली में दंगा होगा
त्योहार पर्व पर वह टोकेंगे, धर्म सनातन पथ रोकेंगे
एक पक्ष को खुश करने को, कील धर्म मस्तक ठोकेंगे
तुमने जो प्रतिकार किया तो, शहर खून से रंगा होगा
धर्म आज इक नंगा होगा, फिर दिल्ली में दंगा होगा
तुम पर यह पत्थर मारेंगे, घर-बाला पर डोरे डालेंगे
काफिर तुम्हे समझते ये सब, मौन रहे हम सब हारेंगे
भाईचारे के आड़ में ये सर, तलवार नोक पर टंगा होगा
धर्म आज इक नंगा होगा, फिर दिल्ली में दंगा होगा
जब तक घृणा रहेगी थल में, लहू बहेगा गंगा जल में
शस्त्र उठा प्रतिकार करो, विश्वास हमें तेरे भुजबल में
जब तक यह नासूर रहेंगे, रिस रहा मेरा तिरंगा होगा
धर्म आज इक नंगा होगा, फिर दिल्ली में दंगा होगा
#अरविंदठाकोर
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