Arvind Kumar   (अरविंद 💙)
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Income Tax Department. Nation First.🇮🇳
Joined 23 October 2019


Income Tax Department. Nation First.🇮🇳
Joined 23 October 2019
27 JUN AT 10:44

तैर के इस दुनिया के समंदर,
आ जाओ, ख्वाबों के अंदर ।।

तोड़ के दकियानूसी रिवाज़,
बदलो अब हालात ये मंज़र।।

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10 JUN AT 12:38

लफ़्ज़ रुक गए थे, कलम रुक गई थी ।
वक्त के उस दौर में, जिंदगी झुक गई थी ।।

नया सवेरा आया है, बरसों की अंधियारी के बाद,
चेहरा कुछ मुसकाया है, महीनों की लाचारी के बाद ।।


दुआ करो, अब ख़ैरियत रहे।


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27 FEB AT 11:01

खिड़कियों पर लगी धूल ने बयां किया,
बरसों से इस मकान में अपना कोई आया नही ।

माँ -बाप की थकी नज़रों से समझा,
औलादों ने संग बैठ, एक निवाला खाया नही ।।

यूं तो नाते तमाम है दुनिया भर में सबके,
अफ़सोस के अपनों ने कभी अपना बताया नही ।।

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26 FEB AT 11:04

ज़िन्दगी के उजाले मुबारक़ हो तुम्हें,
हमे अंधेरों ने हमेशा पनाह दी है ।

जब जब उलझा, कशमकश में
इन्ही अंधेरो ने मुझको राह दी है ।

मुह फेर कर जब, सब लौट गए थे,
अंधेरों ने हिस्से में, दुआ दी है ।

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17 FEB AT 10:25

जिसके रास्तों में कंकर ज्यादा होंगे,
बुनियाद-ए-मंज़िले उनकी, पुख़्ता ज्यादा होगी ।

हवाओं में भी एक इतर महसूस होगा,
पसीनों में नमी, जिसके ज्यादा होगी ।।


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16 FEB AT 10:59

पूरा शहर, आधा घर,
सब ज़हर ही ज़हर ।

उजड़ी हसरतें, बुझे घर,
सब कहर ही कहर ।

बढ़ती ज़िन्दगी, घटती उमर,
सब बेखबर ।

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15 FEB AT 19:26

हर इक ख्याल को याद करना मुश्किल है,
हर इक सवाल को याद करना मुश्किल है ।।
यूं तो क़ायम दुनिया कल भी रहेगी,
फ़िज़ूल की बात को याद करना मुश्किल है ।।

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10 FEB AT 10:38

फ़िर सुबह हुई, सिलसिले तमाम
जो कल रात सो गए थे,
फिर शुरू हुए कर के इंतेज़ाम ।

निकल गए घर से, भीड़ में खो कर,
खुद को तलाशने की कशमकश में ।
थक हार कर, लौटे
जब हुई शाम ।।

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10 FEB AT 10:33

और कुछ रहे सहे, ख्वाब जो बचे हैं,
उन्हें ना छेड़ना, टूटने की खातिर ।।

हुई हसरतें हैं आधी, आधी हैं बाकी,
उन्हें ना तोड़ना, रूठने की खातिर ।।

यही इल्तिज़ा, यही गुज़ारिश,यही दरख़्वास्त है,
शिक़वा ना करना, शिकायतों की खातिर ।।

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31 JAN AT 21:50

सम्बन्ध लुप्त हो गए।
जनसैलाबी कुम्भ में
जन जन से गुप्त हो गए ।।

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