👨एक तरफा मोहब्बत👩
जब आयी वो पहली बार सामने
गिर गया तभी मैं उसके प्यार में...
तब कुछ खास ना था उसने पहना
simple सा ठाठ ही उसका गहना...
फिर शुरू हुआ दिनभर उसे ताकना
बंद आँख से बस उसके ख्वाब देखना...
जब किया दोस्ती का हाथ उनके तरफ
किस्मत ने खेल लिया एक खेल ग़ज़ब...
गिरा दिया मुझको उनके नजरों में ऐसा
दोस्त भी ना समझे हमें वे पहले जैसा...
करे कोशिशे बहोत पर किस्मत ही हारी
मेरे अलावा उनको तो पूरी दुनिया प्यारी...
ना कभी मौका मिला ना कभी मोहलत
हासिल हुई तो बस एक तरफा मोहब्बत...
💔
-
https://www.facebook.com/preist.ar... read more
मोहब्बत तो बहोत है उनसे
पर बहोत कुछ खों भी सकता हूं अगर मैं बया करता हूँ
मैंने उस बहोत कुछ को चुना
मगर मोहब्बत की पूछो तो वो आज भीं उनसे ही करता हूँ...
-
किसीकी मदत करना मतलब उसपे एहसान नहीं है
और फिर भी ज्यों करें ना, तो वो इंसान ही नहीं है...-
प्यार एकतरफ़ा हो या दो तरफा कुछ कम नहीं हैं
क्यूँ की यहां आखिर में मिलना तो हमे गम ही हैं 💔-
हम यूँही उनसे कैसे हो जाए ख़फ़ा
जब हमें उनसे है ही नहीं कोई गिला..
जि हाँ प्यार तो था हमें उनसे बहोत
बस बयां करने का मौका नहीं मिला..
पर खबर उनको भी थी इस बात की
सब बयां करती थी उन्हें हमारी हरकते..
और फिर भी जब कुछ अधूरा था रहता
वो कसक भी पूरी कर देती हमारी बाते..
कहने को क्या ?
कभी इस पागल की हिम्मत कम थी
कि जाकर उनसे कुछ बोल नहीं पाया..
औऱ शायद कभी किस्मत बेरहम थी
कि चाहकर भी उनसे मिल नहीं पाया..
पर क्या होता अगर हम बोल भी देते
क्या आज ज्यों है वो कुछ बदल जाता..
ज्यों सब जानकर भी थे बने रहे अंजान
क्या सच में उनका प्यार हमे मिल जाता ??
-
ज़िंदगी के हालात बदलते बदलते,
लगता मैं खुद कुछ बदलसा गया
अभ खुदसे भी मुलाकात नही होती,
जैसे सब कुछ बिघड सा गया...-
नाते...
एकटेपण नाही रे, तर सोबत नाते असावी... आपलं वा परकं, म्हणून यात वाटे नसावी...
नाते म्हणजे शाखा, रे यात सावली असावी... मग दुःखातही डोळे, कुणाची ओली नसावी...
नाते ओठांवरती नको, ती जीवनात असावी... घृणा ईर्ष्या किंवा इटावा, कुठे मनात नसावी...
ज्याचा त्याचा जरी, नाते एकजीवच असावी... खारं नि गोडी काय, त्याला ही चवच नसावी...
नाते तोड नको, जोडणारी परिमिती असावी... शेवट असेल अशी नात्याला परिणीती नसावी...
तुटता तुटणार नाही, की असे मजबूत असावी... तळहाताच्या मुठी सम, नाते एकजुट असावी...
-
डर लगने लगा इस अंधेरे से
अब तो है भी ना कोई साथ
शायद संवारू तेरे सहारे से
ए... रात ! कर ना कोई बात...
खामोशी भी खां रही जोरों से
तेरे ओर खींच ना मेरा हात
भले कह दो कुछ इशारों से
ए... रात ! कर ना कोई बात...-