रग- रग को अपनी अब,भगवा रंग से रंगाना होगा
चेतक की टाप से फिर,अरिदल को दहलाना होगा
चाहते हो करना जो फिर,माँ भारती का रुप सुरुप
तो अब हमें इस देश के,हिन्दूओं को जगाना होगा
वीर शिवा,पृथ्वी,प्रताप के,हम वंशज हैं भान करो
परशुराम, के पुत्रों फिर, ब्रह्मास्त्र का सन्धान करो
एक बार तो कुरुक्षेत्र में,गीता ज्ञान का ध्यान करो
हो अर्जुन के अंश तुम,तुम्हें गाण्डीव उठाना होगा
उस भूमि पर जन्में हो तुम,जहाँ जन्में थे श्री राम
कर्मयोग का पाठ जहाँ पर,पढ़ा चुके हैं घनश्याम
धर्मवीरों ने अधर्मियों से,जीते हैं जहाँ कई संग्राम
वीर धरा सुत हो तुम, तुम्हें देवदत्त बजाना होगा
आज अगर ना जागे तो,सदा के लिये सो जाओगे
सनातन धर्म के हत्यारे, स्वयं तुम ही हो जाओगे
अब ना उठे ये हाथ तो,आत्मसम्मान खो जाओगे
ऐ "अश्क" दीप धर्म प्रेम का मन में जलाना होगा
अरविन्द "अश्क"
- Ashk
9 DEC 2018 AT 19:22