आज एक बार फिर से एक डर था , बिना टिकट के ट्रेन में सफर करना बिना टिकट के ट्रेन में सफर करना मेरी कोई आदत नहीं थी पर मरता क्या न करता।आजकल इंसानियत है भी या नहीं ये तो एक तजुर्बे की बात है पर यह भी तो सच है कि जब तक धरती है हर चीज मौजूद है बस उसकी मात्रा कम या अधिक हो सकती है,मेरा मानना तो यही था इंसानियत है, परंतु अपने कुछ अंश में । प्रकृति के अनुरूप आपको आपकी प्रवृति के साथी मिल ही जाते हैं या यूं कह लीजिए कि विचारधारा ।
आज दिन मंगलवार 20 मार्च 2024 मुझे अमृतसर जाना था पर किसी कारण से मेरा टिकट नहीं हो पाया । आज के समय दुविधा इतनी बड़ी होती जा रही है कि जल्दी से कुछ नहीं मिलता वैसे ही मेरी भी कंडीशन थी ।
किसी मित्र के अस्वस्थ होने के कारण मुझे किसी भी हालत में पंजाब पहुंचना था। बैठकर या फिर खड़े होकर। कठिनाई का सामना करना ही था। किसी को वचन दो तो उसे निभाने की मेरी बुरी आदत है अगर ठाकुर जी पूरा करा दें तो। सुबह 7.20 वाली शताब्दी एक्सप्रेस में हम बैठ गए । मन में एक ही विचार उधेड़ बुन चल रही थी कि क्या होगा कहीं टिकट न होने की वजह से टीटी मुझे ट्रेन से बाहर न फेंक दे । मेरे पास इतने पैसे भी नहीं थे कि मैं टीटी को दे सकूं । सारी की सारी बात आज की मासिकता पर आकर रुक जाती है। सब घुस लेने को तैयार ...आगे शेष
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