जंगल में देखो रोते मोर
रातों को देखो खोते मोर
सड़कों पर गैया करती शोर
आया देखो कलियुग घोर
शेर दहाड़े हाथी चिंघाड़े
हिरण दौड़े घर की ओर
जंगल से आया करुणिम शोर
आया देखो मानव कपटी चोर
जंगल काटे लकड़ी काटी
सच्ची बात कभी न बांटी
हो रही निष्प्राण प्राणों की डोर
बढ़ता मानव पग पग तम की ओर
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"बुद्ध" हो जाना अर्थात् अपने अंतर्मन के प्रति निश्च्छल , पूर्ण समर्पित भाव ,जहां कोई भी विरोधी भाव नहीं रहता। बुद्ध वो है जो हृदय से शुद्ध है, हिंसा के विरुद्ध है, और प्रेम की शरण में है। "बुद्ध" वो है जो अपने अंतर्मन के विरुद्ध कभी न जाए ।
बुद्ध वो है जो अपना दीप स्वयं बन जाए ।-
अब जब भी नए इतिहास लिखे जाएंगे
सच्चाइयों के चित्र जीवंत बनाए जाएंगे।
वीरों की वीर गाथा में न थोपी जाएंगी कुटिल कहानियां।।
जटिल हो चुके संवादों को बदलेंगी नई जवानियां ...!!!
"सिंदूर" का रक्तिम चित्र बन गया शत्रु का रक्त ही
अट्टहास वो रणचंडी का भेद गया दुष्ट को सुप्त ही
कहने को अर्चन के आलय भिन्न भिन्न ही सजते हैं
पर मनुष्यता के पालने वाले एक राम रहीम को भजते हैं।।-
उसकी बातें जब भी याद करता हूं...!!
झरोखे , खिड़कियां सब बंद कर लेता हूं....!!
ताकि उसकी
बेवफाई की महक बाहर न जाए
मेरी तरह
किसी और
का दिल
ए आशियां न जल जाए ...💃✍️😆😅-
जंगल में देखो रोते मोर
रातों को देखो खोते मोर
सड़कों पर गैया करती शोर
अंध की धुंध बहती हर ओर
...💯🎯✍️👍✅🥍-
ज़िंदगी है हर दिन सांसों पर जीने के दस्तखत करती है।
पर किस दिन स्याही ख़त्म हो जाए कुछ नहीं जानते ।।-
ना रुकेंगे कदम
ना थकेंगे मन
यदि रहे यूं ही हौंसले तो
१०० के पार जाएंगे हम
हिम्मत न हारेंगे ये तो पक्का है
१०० से आगे जाएंगे यही पहला मौका है
लक्ष्य को जीतना है
इसीलिए वक्त से आगे दौड़ना है
जीत हमारी निश्चित है
क्योंकि संघर्ष हमसे खासा परिचित है
१०० की बात करते करते
आगे निकल जाना है
मंजिल अपनी ही है घर उसके रोक आना और जाना है।-
त्यौहार मानव जीवन को ज्ञान, विज्ञान,संस्कार , संस्कृति,प्रेम ,दया , अहिंसा व अन्य कई स्तंभों से बांधे रहते हैं।
सोचो अगर ये त्यौहार न हों तो क्या हो...??
क्या हम स्वयं की सीमाओं को समझ पाएंगे ,कदाचित यह सत्य न हो जाए ....?
हम त्यौहारों को भुला न दें । सीमाओं में बंधन भी अति आवश्यक है। तथ्य यही है,,, त्यौहार ही मानव समाज के प्रथम व्याहारिक स्तंभ हैं। हमारे शुभ आचरण श्रोत हैं।
त्यौहारों को भूलना अपने अस्तित्व को भूलना जैसे हैं।
त्यौहार हमारी आत्माएं हैं । इनमें जीवन की सुगन्ध हैं।
होली की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🪔।। शुभ होली।।🪔
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जब सब कुछ पहले से ही निश्चित है
तो मैं क्यूं ना निश्चिंत रहूं...
तमस और दिवस में क्यूं न मैं सम भाग बहुं...
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हिम्मतों पर सुनी हैं बहुत सारी कहानियां
त्याग समर्पण पर बनती देखी सर्वदा रक्त चिंगारियां
हिम्मत साहस बलवान सर्वदा कापुरुष क्या समझे इसकी वाणिया-