निंद मौत है ..
असली दुनिया से दूर एक छोटी सी गाँव है।
जहां तुम हो या तुम्हारी यादें..
निंद ख्वाबो से भरी एक कहानी है..
जिसके हर पन्ने पे तुम्हें ओ यादें मिलेंगी जो आधे अधूरे ख्वाहिशों से बनी होंगी..
....कुछ अनकही बातें।
कुछ अँनदेखे लोग या कुछ सतरंगी एहसास होगी.. इससे लड़ते-लड़ते तुम अपनी जिंदगी के
_उस पढ़ाओ तक पहुँच जाओगे जहाँ निंद का वैल्यू सिस्टम बस मौत के बराबर होती है..
ख्वाबो के धंधे होते हैं याहाँ।
सौदेबाजी में ..बेचने वाले भी तुम।
खरिदने वाले भि तुम .
खुशियों की नीलामी में तुम्हारी खुशियों का भाव भि तुम ही लगाओगे ..
..बडाओगे भी तुम ।
..घटाओगे भि तुम..
निंद अंत नहि - अंत बिराम है।
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