अर्पण रात सराहिए, जब उम्र करे विश्राम
दिवा रोशनी पीर सी, हर पल एक संग्राम
खट खटनी ताउम्र जब, अर्पण पहुंचे धाम
खटिया जीवन की खड़ी, मिला कहां आराम
अर्पण कैसी आग है, दुनिया में चहुंओर
भागमभाग अहर्निश, ओर दिखे न छोर
अंतर्मन में क्लेश है, चेहरे पर मुस्कान
अर्पण चुप हैं आजकल, देखकर यह आयाम
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