अरुण कुमार "अरु"   (अrun 📝)
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Joined 22 March 2019


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Joined 22 March 2019

समेट कर ले जाओ उन झूठे वादों के अधूरे क़िस्से,
अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी।

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कल बरसात का पानी थम जायेगा,
सावन का महीना भी जायेगा,
ये हरा भरा सा मौसम भी कल सूना - सूना हो जायेगा,
इन हरे दरख्तो के पत्ते भी शायद कल कुम्हला जाएं,
कुछ भी हो जाए दुनिया में पर मेरा इश्क वही होगा।

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कुछ बातें जो कहनी हैं वो बातें अभी अधूरी हैं,
मिलना भी है उनसे लेकिन अभी तलक तो दूरी है!
दरवाजे पे दस्तक ? देखो तो बाहर कौन खड़ा है ,
वो खुद आये हैं मिलने को, या आयी उनकी मंजूरी है !!

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बांटों इतना की प्यार कि हर सरहद तोड़ दो
जाति, धर्म से ऊपर निकलो सियासत छोड़ दो
पौधों का रंग हरा है तो क्या हमारे नहीं है वो
संतरे भगवा है तो क्या तुमको प्यारे नहीं है वो
मेरी जान हम सभी एक हैं और एक रहेंगे
बांटने वालों के मंसूबे भला कितनी देर चलेंगे

जय हिंद ,
Happy Independence Day

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तेरी कुर्बत मे गुजरे शाम तो कुछ खास हो जाये
ये स्याह सा मंजर भी खिल के शफ्फाक हो जाये
बजी इक फोन की घंटी कि दिल मे जख्म से उभरे
काश तुम फोन पे आओ तो ये पायाब हो जायें

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उसे सर्दियाँ बहुत पसंद है और मुझे सर्दियों मे वो
उसे चाय बहुत पसंद है और मुझे चाय पे वो
उसके साथ बैठूँ तो हर चीज बहकी सी लगती है
उसे गुलाब बहुत पसंद है और मुझे गुलाबी सी वो

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कल चांद का दीदार था आज ईद का त्योहार है
माना की दुश्वारियाँ हैं गले मिलने में, पर दूरियों मे प्यार है
कुछ बंदिशें हैं जो जरूरी हैं जिंदगी के लिए
पर महफिलों को पुराने दिनों का इंतजार हैं


ईद की मुबारकबाद

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😢आज की दशा से दुख हुआ 😥

40 दिन वनवास के बाद गजब का अमृतपान हुआ है ,
घर में राशन न हो चाहे पर आज्ञा का सम्मान हुआ है
राजस्व बढ़ाओ योगदान दो खूंटी पे अपने प्राण टांग दो
सत्ता चाहे जिसकी हो वो कभी नहीं कुछ कर पाये
ये वक्त है जिम्मेदारी का लोगों जिम्मेदार बनो
कुछ न कुछ करते कुटिल काम ये तो सत्ता की आदत है
पर हे मानव तुम बचो जरा तुमको तो खुद से मोहब्बत है

©अrun 📝

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इक मुहब्बत के सिवा सब कुछ
यहाँ आसानी से मिल जाता है ,
इस मतलब के जमाने में भला
कौन दिल से दिल लगाता है

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इश्क करने निकले हो, तो ये तो बताओ ,
उस हसीं सितम का असली पता जानते हो न!
कैसे सम्भालोगे खुद को गर न मिल सका वो ,
भीगी आँखों से मुस्कराने की अदा जानते हो न!!

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