अपने प्यार की सिद्दत में उतार कर देख
मैं कितना बा-वजू हूँ मुझे चाल कर देख
मोहब्बत में तो मोहब्बत बहुत बढ़ती है पर
मैं कितना वफादार हुँ मुझे त्याग कर देख-
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Young
@trut_htale
अपने प्यार की सिद्दत में उतार कर देख
मैं कितना बा-वजू हूँ मुझे चाल कर देख
मोहब्बत में तो मोहब्बत बहुत बढ़ती है पर
मैं कितना वफादार हुँ मुझे त्याग कर देख-
मैं ऐसा पहाड़ था जिसको ख़ुद की बोझ खा गया
ये अशद विरानीयों की ज़ोम ने पुख़्ता रोज खा गया-
जो मिल न सका कभी उसको पाने की तमन्ना रखा
एक ही इंसान के लिए ज़िन्दगी का पूरा हिस्सा रखा-
तेरी सरापा ही अलग नूर देती है
तू रूप ही अलग ख़ुदा का बनाया हुआ है
[ गज़ल पूरी कैप्शन में ]-
कुछ नहीं मिला मुक़्क़मल होने के बाद भी
जो भी बे-वफ़ा था वो बे-वफ़ा आज भी है-
और एक आखिरी तस्सली वो थी
आज उसने भी मुँह मोड़ डाला है
[ गज़ल कैप्शन में ]-
जो प्रेम में सब कुछ त्यागता है
अंततः प्रेम! उन्हें भी त्याग देता है-
मरने का भाव को मार डाला है कब का
अब जीवित रहने की कशिश पे जिंदा रहना है-