दूरियां उनसे,
जब हुईं,
समझ में आया,
कितना मुश्किल है,
दूर रह पाना....
दूरियां मज़बूरी हो सकती हैं,
शौक नहीं,
कौन कहता है दूरियों का ख़ौफ़ नहीं ......-
चांद पागल है रातों को निकल पड़ता है।
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लेकिन चुप रह जाना नामुमकिन है,
इसलिए एहसासों को शब्द दो,
शब्दों को कलम की ज़ुबान दो....
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कभी सोचा नहीं ,
कि ज़िंदगी में क्या होगा,
सांस आयेगी हर दफ़ा,
ज़रूरी नहीं ये सिलसिला होगा ,
खैर माँगा किए सभी के लिए,
ख़ुद की खैरियत का क्या होगा,
सबके अपने हिसाब होते हैं,
मिलेगा वही जो आपने किया होगा,
मौत किस मोड़ पर खड़ी होगी,
ये किसी को खबर नही होती,
आज आये कि आये बरसों में,
मौत से मिलना ज़रूर होगाl,-
कोई शहर मेरे नाम का
कोई गली मेरे नाम की,
मैं ढूंढती शामो शहर
शायद मिले मुझको कभी
तुझमें मेरा हिस्सा कहीं,
कि तलाश मेरी खत्म हो,
कि सुकूँ मिले मुझको कभी,
कभी तू भी मेरी तलाश कर,
फिर मिल के न बिछड़े कभी......... — % &धर्म और अधर्म में फासला घटा
अधर्म भी अब धर्म के सामने डटा,
जो बात सोचने से भी हो गलत का अहसास
उसको तो अब जीत में करते हैं सब शुमार,
कोई दिखाता आँख तो कोई— % &कोई शहर मेरे नाम का
कोई गली मेरे नाम की,
मैं ढूंढती शामो शहर
शायद मिले मुझको कभी
तुझमें मेरा हिस्सा कहीं,
कि तलाश मेरी खत्म हो,
कि सुकूँ मिले मुझको कभी,
कभी तू मेरी तलाश कर,
मिल के न बिछड़े कभी......... — % &-
प्रेम तुम कल्पना हो,
मन के रीते भाव की,
या सहज तुम पूर्ण हो,
शीतल सुगंधित छावँ सी।
प्रेम तुम सीता हो,
कोमल पद कठिन पथ गामिनी,
याकी तुम कृष्णा हो, राधा हो
परे बन्धन से अनंत अनुराग सी।
प्रेम तुम तृष्णा हो,
लिपटी देह में एक प्यास सी,
या समर्पित भाव में,
मीरा के दुर्लभ त्याग सी।
प्रेम! शायद तुम परे शब्दों से,
अर्थों से बहुत ही भिन्न हो
इस लिए तुम प्रेम हो,
जीवन के लिए अभिन्न हो.....
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कहते हैं सभी लोग,
ये बात और है उसे कोई जानता नहीं।
ऐसा नहीं किसी ने, देखा नहीं उसे,
वो मेरा हो गया है, कोई जानता नहीं।
हर सांस में मेरी, दिल बनके धड़कता है,
वो भी ये समझता है, मगर मानता नहीं।
हर बात निराली है, हर ढंग है ज़ुदा,
गिरने भी नहीं देता, पर थामता नहीं......-
रहे ये प्राण जब तलक,
मेरे वतन तुझे नमन करेंगे हम,
तेरे उपकार को कैसे भला, भूलेंगे हम वतन,
हरी भरी वसुंधरा, हिमालय का मुकुट सजा,
चरण पखारता है सिंधु
गंगा जल से पावन बनी धरा,
ये शौर्य की धरती है, और साहस की गाथा है,
तिरंगे में केसरिया रंग यही बात बताता है
यहाँ शान्ति और सत्य को धर्म बताया है,
तिरंगे में श्वेत रंग , इस लिए सजाया है,
भारत भूमि उर्वरक, माँ बन के पालती है,
तिरंगे का हरा रंग, कहता है धरती हरी भरी है,
शत कोटि है नमन,माँ भारती, हे मां भारती......-