Arunima srivastava   (Vishisht (विशिष्ट))
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Joined 5 January 2018


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16 HOURS AGO

एक रूहानी दुनियां, जिसमे आना जाना तो है पर ठहरना मुश्किल।

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7 SEP AT 21:00

सरगम सरगम सरगम,
मीत मेरा, मन मीत मेरा।
धड़कन धड़कन धड़कन
सुनती है संगीत तेरा।
आहट आहट आहट,
तेरी सांसों की आहट।
आती है दिल की गलियों से,
जब छेड़े दिलसाज़ मेरा।

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7 SEP AT 20:49

सोचा है सौ बार , मगर सौ बार ये टूटा मन,
झूठी प्यार में कसमें खाएं, नजरें देखें तन।

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7 SEP AT 20:35

चाहत वो अहसास है, जो आपको खुश रहना सिखाता है,
चाहत वो अहसास है जो आपको जीना सिखाता है,
चाहत वो अहसास है जो किसी पर मिटना सिखाता है।

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6 SEP AT 23:38

सब ओर पानी ही पानी,
कुदरत से खेलने वालों,
देखो अपनी कारस्तानी,
तुमने काटे वन उपवन,
धरती का कर डाला दोहन,
अब बारिश के मौसम में,
चारो ओर दिखे है पानी.....

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6 SEP AT 23:23

अभी,
चाँद तुझको ठहरना होगा।
वक़्त यूं ही न निकल जाए
कहीं,
चाँद तुझको ठहरना होगा।
तमाम,
ख्वाबों का जिक्र करना है,
टूटी,
नींदों की फिक्र करना है,
लेना है,
मुझको हर पल का हिसाब,
अभी,
चाँद तुझको ठहरना होगा।
रात से बात चल रही है.......

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5 SEP AT 22:46

जो जैसा हो,
उसे साफ़ साफ़ कह देना....

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3 SEP AT 22:57

मुहब्बत की तो की,
जताई न होती,
बात दिल की ज़ुबां पर,
आई न होती,
दिल टूटता तो टूट ही जाता,
इस तरह प्यार में,
रुसवाई न होती।

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28 AUG AT 21:06

भावनाओं को व्यक्त करने का सरल तरीका ,
गूढ़ बातें, छोटे शब्द,
सरल बन गए मुक्तक, छंद

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11 AUG AT 21:59

भोर को आना ही है, देर हो चाहे जरा,
रात के आंचल से छिपता नहीं है उजियारा,
मगर रात और सुबह के बीच का अन्तराल,
होता है बेसब्र, कष्ट दाई और बहुत लंबा,
सूरज के भरोसे पर, रात से बैर नहीं लेते।
सरकने देते रात का आंचल आहिस्ता आहिस्ता,
और दूसरे कोने पर उगते सूरज से नई भोर का
अभिवादन करते है……

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