जिंदगी सबसे बड़ा गुरु हैं
जिसने ठोकर देकर भी सिखाया
और ताज पहनाकर भी....
Happy teacher's day...❤️-
तीज का त्योंहार आया ,खुशी है छाई
हमारे बिटिया की सोलह वी तीज है आई
मौका है सुहाना आप सब पधारे
की है तयारी तीज की सब आ के निहारे
सोनी परिवार कर रहा स्वागत आपका
पधारकर शोभा बढ़ाइए बिटिया के खुशीका।
सोनी परिवार
राधाबाई सुनीता सोनी, गुनाले गली
समय दोपहर 4 बजे-
मैत्री..तुमची नी माझी
अनोळखी अनोळखी म्हणत असतानाच
अचानक एकमेकांची सवय होवून जाणं
म्हणजे मैत्री...!!
तुमच्या सारखी खूप खूप गुणी अन् माझ्यासारखी थोड़ी थोड़ी खुळी....
जशी कायम बहरलेली सदाफुली म्हणजे मैत्री...!!
हसवणाऱ्या, फसवणाऱ्या तर कधी कंटाळवाण्या गप्पा म्हणजे मैत्री....
मनात निर्माण झालेला तुमच्या आठवणींचा कप्पा..
म्हणजे मैत्री...!!
मनाने मनाशी गुंफलेली सुंदर वीण अन्
तुमच्या शी बोलताना विसर पडलेला शीण
म्हणजे मैत्री...!
अगदीच महागडं सुंदर फुलझाड नसेलही पण दुर्मिळ
गवताचं एक नाजुक पातं म्हणजे मैत्री
देवानेही हेवा करावा अन् प्रेमानेही लाजावं असं पवित्र नातं म्हणजे मैत्री...!!
उतरत्या वयाच्या सांजवेळीही ऐकु यावी अशी सुंदर तान
आणि आयुष्याच्या रुपेरी पुस्तकात सुवर्णाक्षरांनी लिहावं असं पान म्हणजे मैत्री...!!
हसता हसता अलगद टीपावं असं डोळ्यातलं पाणी..
अन्...
स्वप्नवत वाटणाऱ्या स्नेहबंध जपणाऱ्या पवित्र नात्याची अशी ही कहाणी...
म्हणजे मैत्री....!!
happy friendship day to all my lovely friends ......-
कल का पूरा दिन बधाइयोंसे भरा था उस मां का
आज फिरसे ओ खालीपन और विरानी छाई उसके जीवनमें
कतरा कतरा फिर ओ जलेगी अकेली
और कटेगा उसका और एक साल अगले मदर्स डे के इंतजारमें-
शुक्रिया उन तमाम सामाजिक माध्यमों का
जिनकी वजहसे आज कितनी मां ये मस्कुराई !
मदर्स डे के अवसर पर ही सही पर सबको
बरसो बाद कोने में पड़ी " मां " याद आई !-
तोड़ दे सारी बंदिशें , बेड़ीयां पांव में बांधी क्यों?
आंच तेरे इज्जत पे आई हैं फिर इतनीसी ही आंधी क्यों ?
भूल गई क्या ताकत है तेरी!बनकर चिंगारी जलादे उनको
तू है काली , तू ही चंडी ,बन दुर्गा काट दे उनको
खुदके अन्याय का तू ही कर फैसला कौन और क्या करेगा ?
जो तुमने सहा हैं उसकी सजा तुमसे बेहतर कौन देगा?
डटकर तुम खड़ी रहने झेलना सारे वार
क्रांति सूरज अकेला ही चमकता तोड़के अंधकार-
एक मर्द जब घरबार ,अपने बच्चे ,सबकुछ छोड़कर स्वयं की खोज में निकल पड़े तो ओ बुद्ध कहलाता हैं !
और वहीं एक औरत अपने पति ,बच्चे ,घर को छोड़ कर अपने आप को खोजने निकले तो बदचलन क्यों कहलाती हैं?-
हमे लगा था वक्त के साथ कुछ तो बदलेगा...
पर गलत थे हम...
आज भी हम तुमसे उतनी ही मोहोब्बत करते है
जीतनी पहले किया करते थे...-
इबादत में तुम्हें मांगा था
क्या इतने किमती हो क्या तुम ?
जिसे देने से खुदा भी
कतरता हैं ?
सुना था शिद्दत से खुदा को मांगो
तो ओ भी जमीं पर आकर
रहम ए करम कर जाता है !
बता ना ! तू किस मिट्टी का बना है ?
जो इतने चाहने पर भी
नजरे फेरता हैं ?
ये भी सुना था की जो मांग कर भी ना मिले
समझना खुदा ने कुछ बेहतर चुना होगा
किसी ने मुझे भी मांगा होगा शिद्दत से
उसकी इबादत को पूरा करना होगा
सुन अब ! उसी की होने जा रही हूं
जिसने अपने दुवा में मुझे मांगा था
चलो मेरी ना सही उसकी इबादत
खुदा ने कबूल की
देखना है खुदा तेरी तकदीर में किसे लिखता हैं?-