" जब अपनी ही परछाई से डर लगने लगे "
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मैं कोई कवयित्री नहीं हूं, बस वक्त बेवक्त ज... read more
आकर तुम मेरी बाहों में,
ख्वाब सजाओं जीवन के।
सब कुछ तुमको अर्पण कर दूं,
जो कह दो बस तुम मेरे हो।।
रंग के पि के रंग में ही,
इन्द्र धनुष सी चमकू मैं।
छूकर मेरे इस तन को ,
प्रियवर नवजीवन दे दो ।।
दिल पर हाथ मेरे रख दो ,
तो पंछी बनकर डोले हम ।
धरती से अम्बर तक जाकर,
हर पल को अपना कर दो ।।
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ये पता चलता है,
धोखा खाने के बाद ।
मोहब्बत भी बिक जाती है ,
सही किमत लगाने के बाद।।-
जिस प्रकार हरे पेड़ों पर जगमगाती है ,
रंग बिरंगे फूलों की बिंदी ।
उसी प्रकार हिंदुस्तानी होठों पर सम्मान बढ़ाती है ,
मेरी प्यारी हिंदी ।।-
आ जाओ मोहब्बत के दो लफ्ज़ लिखने है ,
सीने से चिपक कर कुछ इत्तेफाक लिखने है !
किसने देखा है लोगों का आता जाता कल ,
सुबह शाम धरती आसमान मुझे तो तुम्हीं में लिखने है !!-
आज फिर हमने अपनी मोहब्बत का इम्तिहान दिया !
खरीद कर उनकी खुशियों को गम अपने नाम किया !!-
जान तुम्हारे मौन अधर का हाल ,
हम खुद को बेहाल कर गए ।
तुम कहीं हो ना जाओ पराए ,
तो हम खुद को पराया कर गए ।।-
कुछ खामोश जख्म उस स्याही की तरह होते हैं ,
जो हर बार पानी मिलने पर अपने होने का एहसास छोड़ जाती है !
और अच्छी तरह बताती है कि मैं अभी भी हूं !!-
पैगाम ए हुस्ने यार से ,
ज़ख्म सीने में कर डाला ।
किसी के ग़म मे क्या जीते ,
हमें तो मोहब्बत ने मार डाला ।।-
कुछ ख्वाहिशें अधूरी रह जाती अगर ,
तो जिंदगी जी लेते हम भी !
मगर तेरी मोहब्बत ने ,
जीने का मौका ही नहीं दिया !!-