Arun Thakur   (✍️Sury@)
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Joined 15 July 2020


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Joined 15 July 2020
18 DEC 2024 AT 14:30

"मै तेरा हो नहीं सकता"

फूल समंदर तारे नदियाँ
देखके जिसपे कविता आती थी
वो पावन सी कोई धारा थी
वो वो थी कोई और नहीं हो सकता

उठते-सोते, पढ़ते-लिखते और काम पे होते
एक उसकी याद जो आती थी
अब चाहूँ भी तों मै दुनिया मे रम तो सकता हूँ
पर उसके जैसे ख़्वाबों मे खो नहीं सकता

रूह मेरी अब मेरी नहीं है
साँस बची तों जिन्दा हूँ मै
जिस्म भले ही दे दूँ तुझको
पर अब मै तेरा हो नहीं सकता...

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26 JUN 2022 AT 20:41

जिस दिन तुम मुझे समझ पाओगे
यकीन मानो बहुत पछताओगे
देर कितनी भी हो चुकी हो लेकिन
वापस आना, दरवाजा खुला पाओगे...






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26 JUN 2022 AT 0:13

इंतजार कब से तेरा किए जा रहे हैं
आँखों मे है नींद पानी पिए जा रहे हैं
तेरा, मेरा हो जाना बहुत मुश्किल है फ़िर भी
तुझसे राबता होने का इंतजार किए जा रहे हैं
कुछ बातें कहनी बहुत जरूरी थी फिर भी
बातें फ़िजूल की किए जा रहे हैं

जितना मैंने तेरा किया इंतजार इतना कौन कर पाएगा
पागल हो जाएगा आशिक या मजनू बन जाएगा
कुछ लब्ज बिन कहे ही समझ लो ना तुम
वरना ऐसा होगा कि किसी दिन ये मर जाएगा
मुझे कहना आता तो दशकों पहले ही कह दिया होता
यूँ बात घुमाता नहीं अबका कर दिया होता

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25 MAY 2022 AT 14:14

मिलना बहुत मुश्किल है
छू तो सकते ही नहीं,
साला अपना वाला तो
इश्क़ भी शाकाहारी है

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24 MAY 2022 AT 16:28


मुझे मिलना है तुझसे,खुद को खोने से पहले,
तुझको गले से लगाना चाहता हुँ अब

तेरी यादों के सहारे ही जीता था अब तक ,
तेरे साए में रहकर जीना चाहता हुँ अब

नहीं कम होता सिलसिला दूरियों का कब से,
जज्बातों को अल्फाज़ देना चाहता हुँ अब

कब तक लिखेगी कलम मेरी तुमको,
अपनी गज़ले मै तुमको सुनाना चाहता हुँ अब  

तुम पास आओ तो अपनी धड़कन सुनाऊँ,
अधूरी प्रीत की रीत करना चाहता हूँ अब

माना दूर रहना मजबूरी है लेकिन,
कुछ बातें अधूरी हैं जो कहना चाहता हुँ अब

मुझे मिलना है तुझसे,खुद को खोने से पहले,
तुझको गले से लगाना चाहता हुँ अब

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22 MAR 2022 AT 14:46

जितना हो सकता था उतना किया मैंने
न जाने प्यार कितना-कितना किया मैंने
इश्क़ मेरा किताबों वाला था शायद
उसकी गाड़ी का बहुत दूर तक पीछा किया मैंने

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25 JAN 2022 AT 16:17

कितनी दफा कोशिश की तुझे हंसाने की
पर तुम अब तक पलकें झुकाए बैठी हो
इतनी दफा इज़हार किया इन बेबस आँखों ने
तुम सच में नहीं समझी या जान छुपाए बैठी हो
सामने तुझसे कह सकूँ शायद इतनी हिम्मत नहीं मेरी
बिन कहे तुझसे रहूँ कैसे,क्यूँ इतना जान सताए बैठी हो

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8 DEC 2021 AT 13:59

कैसे दूर करूँ ये उदासी बता दे तू
सीने से लगा के तनहा आँखो को रुला दे तू

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21 NOV 2021 AT 11:41

बनाने वाले ने दुनिया मे गर गम ही ना बनाया होता,
तो क्या होती हैं खुशियाँ किसी ने अंदाजा भी न लगाया होता।

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10 NOV 2021 AT 16:58

तुम्हें बस ये बताना चाहता हूँ
मैं जग से जो छुपाना चाहता हूँ
तुम मुझसे भी बात कर लो
मैं बस ऐसा बहाना चाहता हूँ
करो जो मन करे बातें
मैं हाँ मे हाँ मिलाना चाहता हूँ

Inspired by (फ़हमी बदायूँनी)

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