जो मैं नहीं चाहता था,
वो मैं बन गया हूँ...-
हम खुद से बिछड़े हुए लोग है,
तुझसे क्या मिल पाएंगे...
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कभी कभी हम अनजाने में वक्त पर पावं रख देते है, इसीलिए ज़िंदगी मुहं के बल गिर जाती है...
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सब्र कोई कोई करता है,
सब्र वक़्त गुजरने के बाद हर एक को आ जाता है...-
दिल ना-उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है,
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है...-
ठुकरा दी मैंने ज़िल्लत भरी खुशियाँ,
इज्जत से गर गम मिले तो वही कुबूल है...-
हमदर्दियाँ भी मुझे काटने लगती हैं अब,
यूँ मुझसे मेरा मिजाज़, ना पूछा करे कोई...-