जब भी गुफ्तगु किया करो तो बड़े अदब से किया करो
जिन्दगी बहुत छोटी है हमारी
अपनी यादों के साथ रहने दिया करो हमे
ना जाने किस वक्त जिन्दगी की शाम हो जाए
और भी दुख है हमारे पास जमाने के
जब आते है तुम्हरे पास तो जान थोड़ा आराम दिया करो
( Arun sharma)-
एक वक्त था जब ग़ैर भी मुझे अपना कहते थे
जब आया मेरा वक्त बुरा तो मेरे अपने भी पराये हो गये
रूठा जमाना मुझसे इस क़दर की जैसे मेरा कोई वजूद नहीं
खेल ये सब दौलत का था मेरा कोई क़सूर नहीं
( अरुण शर्मा )-
वो मेरे सामने से गुज़र गया
और में देखता रह गया
रात बड़ी सुहानी सी थी
और में कपाता रह गया
जूठ बोल कर वो मुझसे बेवफ़ाई कर गई
ए जान कर भी में सच बोलता रह गया
उस रात उसके इरादे नेक ना थे ए अरुण
में शर्म के मारे सारी रात जागता रह गया
( अरुण शर्मा )-
दीवाना बनना है तो दीवाना बना दे मुझे
अपने हुस्न का जादू दिखना है तो दिखा दे मुझे
शाम होते होते परिंदे भी लौट आयेंगे तेरे पास
अभी अकेला हूँ तो अपने हुस्न के जादू में गिरप्त कर ले मुझे
( अरुण शर्मा )
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तुम्हारे ख़त में वो सलाम किसका था
तुम ही बताओ वो रक़ीब किसका था
वो कौन था जिसके कहने तुमने बेवफ़ाई की
ख़्याल करके बताओ जान ये सौदा किसका था
अब बात बात पर कहते हो की तुम क्या हो
तुम ही बताओ ये गुफ़्तगू क्या है
खिच रहा है मेरा बदन तुम्हारे बदन की तरफ़
अब तुम ही बताओ तुम्हारा हाल क्या है
( अरुण शर्मा )
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अब कोई उम्मीद कम नहीं आती
अब कोई सूरत रास नहीं आती
में खड़ा हूँ जहां वहाँ मुझे मेरा होश नहीं
इस तरह डुबा हूँ उसके इश्क़ में कोई दबा काम नहीं आती
( अरुण शर्मा )
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बेचकर में अपनी ज़मीन आज बेघर हो गया
जिसको में नहीं जानता आज वो उसका हक़दार हो गया
ज़िन्दगी भर सभाल कर रखा था मैंने उसे
आया ऐसा वक्त की में वे वक्त हो गया
( अरुण शर्मा )-
जो भी फ़ैसला है तेरा बता दें मुझे
जो तेरे नसीब में लिखा है उस शख़्स से मिला दे मुझे
पड गया हूँ तेरे इश्क़ में उसकी इतनी सज़ा ना दे मुझे
की ज़िंदगी कम पड़ जाये तुझे भूल जाने में
जिस बात का डर है तुझे वो कर जाऊँगा में
तुझे ज़हर देकर ख़ुद भी मार जाऊँगा में
( अरुण शर्मा )-
तुम आये नहीं और जाने की बात करते हो
जान मसला क्या है हड़ताल करते हो
( अरुण शर्मा )-
इश्क़ का जंजाल ही ऐसा होता है
जो इसमें फस जाए उसका निकलना मुश्किल होता है
आव एक बात कहु तो समझ जाओगे क्या
अपनी यादों से उस बेवफ़ा को निकाल पाओगे क्या
( अरुण शर्मा )-