Arun Sengar   (Arunsengar@ love.co.in)
43 Followers · 161 Following

लिखने की प्रेरणा
सिर्फ तुम सिर्फ तुम
Joined 12 October 2018


लिखने की प्रेरणा
सिर्फ तुम सिर्फ तुम
Joined 12 October 2018
8 MAY 2022 AT 23:16

शब्दों के धागों से, नया बिन रहा हूं
तुम संग बिताया वो कल लिख रहा हु
फिर से वो लम्हे वो पल लिख रहा हूं
मैं फिर से अधूरी गजल लिख रहा हूं..
लिख रहा हूं फिर वो तेरा रूठ जाना
मेरे मानने पे तेरा मान जाना
वो दिल में तुम्हारा दखल लिख रहा हु
मैं फिर से अधूरी गजल लिख रहा हूं...


-


12 DEC 2021 AT 21:58

पीकर होश में रहे जरुरी तो नहीं
अब होश में रहने के लिए पीना जरूरी है।

-


25 NOV 2021 AT 12:52

संकुचित मानसिकता के लोगो को
वृहद भी संकीर्ण दिखाई देता है।

-


25 NOV 2021 AT 9:46


संकुचित सोच और कुत्सित मानसिकता रखकर
दूसरों के व्यवहार को परखना मूर्खता है।







-


11 OCT 2021 AT 15:41

कमाई शोहरत बहुत ,इस अजनबी शहर में
  बस खुशियों का आशियाना नहीं मिलता,
  आंचल छोड़ तेरी ममता का मां
  दूजा कोई  ठिकाना नहीं मिलता।

आता हुं जब भी तेरे पास ,कुछ देर के लिए
देखकर मजबूरियां तेरी
रोने का बहाना भी नही मिलता।।

चलोगी मां मेरे साथ ! प्यार से कहता तुम्हे
तुम कहती लाड़ से ! ये घर तेरे बचपन की यादों का
यूं यहां से तेरे साथ अब जाना नही होता ।।।

तू जा मेरे बेटे, तू खुश है तो मैं खुश हूं
थोड़ी देर ही सही लगकर सीने से तेरे
मेरी  खुशी का ठिकाना नहीं रहता ...

-


22 SEP 2021 AT 15:21

कुछ नही रह गया सुनने को
कुछ नहीं रहा सुनाने को
मैं कुछ कहता, तुम सुनती हो,
तुम कुछ कहती, मैं सुनता हूं
अब तो बस बाते होती है,
खुद को ही समझाने को।

वो प्रेम पत्र तरुणाई के
तुमने बक्से में रखे है
फिर पढ़ना तन्हाई में
जो लिखे थे तुम्हे रिझाने को
अब तो बस बाते होती है
खुद को ही समझाने को।।

Arun sengar

-


17 SEP 2021 AT 9:52

जब प्रेम सरस राधा के स्वर
बन जाय मुरली कृष्ण अधर..१
जब प्रेम सहज ढाई अच्छर
बन जाय सवालों के उत्तर..२
जब प्रेम तरूण आवेग शिखर
बन जाय"अरूण" सा ताप प्रखर..३

तब तुम मेरी पाती पढ़ना
पढ़ना उर का दर्द प्रिए
विरह में डूबे हर अच्छर..
पढ़ना हर उन यादों को
जो बीती थी, हर सांझ प्रहर..
Arunsengar@love.co.in









-


15 SEP 2021 AT 10:03

तुम अनजाने से,ना जाने क्यों
जाने पहचाने से लगते हो.१
शब्द नए है,दर्द वही है,
न जाने क्यों गीत पुराने लगते हो।
नयनों की दस्तक से दिल का
सफर सुनाने लगते हो ।
तुम अनजाने से,ना जाने क्यों
जाने पहचाने से लगते हो..२
प्रणय प्रेम की भाषा का अनुवाद
बताने लगते हो
प्रेम पथिक मीरा के जैसे
वैराग दीवाने लगते हो..
तुम अनजाने से,ना जाने क्यों
जाने पहचाने से लगते हो.३
Aunsengar@love.co.in

-


4 SEP 2021 AT 13:48

विरह में है मन
श्रंगार क्या लिखूं...१
वेदना के शब्दों से
प्यार क्या लिखूं...
मरुस्थली हृदय से
फुहार क्या लिखुं
विरह में है मन
श्रंगार क्या लिखूं...२
जिंदगी के शूल से
गुलजार क्या लिखूं...
डूबती पतवार से
कगार क्या लिखूं
विरह में है मन
श्रंगार क्या लिखूं।।...३

Arunsengar@love.co.in

-


1 SEP 2021 AT 23:01

धर्म के धुरंधरों
आसमानी छछूंदरो...
धरती अगर चपटी है,
तो गोल क्या है,
तुम्हारी नजर में भूगोल क्या है।
मुगल अगर महान थे
तो तालिबान क्या है
पीठ दिखा कर भागता पठान क्या है।।
मजहब अगर आतंक है
तो कुरान क्या है
तुम्हारी नजर में मुसल्लम ईमान क्या है।।।
Arunsengar@love.co.in



-


Fetching Arun Sengar Quotes