कोरे कागज से इस जिंदगी पर, जो भी लफ्ज़ उभरे हैं!
इनमें जिक्र सिर्फ उनका है, जो मेरे ना होकर भी मेरे हैं…!-
ARUN PRATAP SINGH
(HALF ENGINEER)
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जब अल्फ़ाज़ पन्नों पर शोर करने लगें,
तो समझ लेना सन्नाटे
बड़ गए हैं ज़िन्दगी में....🙏🙏🙏🙏... read more
तो समझ लेना सन्नाटे
बड़ गए हैं ज़िन्दगी में....🙏🙏🙏🙏... read more
Joined 27 September 2019
12 APR 2021 AT 5:11
7 APR 2021 AT 14:32
अल्फ़ाज़ रद्दी हैं साहब। अगर......
सामने वाला कबाड़ी हो तो......✍️-
28 MAR 2021 AT 23:31
बेशक आज जमाने के लिए होली है साहब
मुझे तो उसकी यादें रोज रंग देती हैं-
28 MAR 2021 AT 15:38
उसकी मोहब्बत का अब नया दौर है साहब
जहां कल तक मै था आज कोई और है-
24 MAR 2021 AT 21:12
किसी को ना यार इतना मंहगा ना बनाओ
कि बो तुम्हें सस्ता समझने लगे साहब-
24 MAR 2021 AT 15:29
दर्द की सीमा उस वक़्त पार हो गई साहब
जब बो मेरे ही सामने किसी और के लिए बेकरार हो गई-
22 MAR 2021 AT 9:58
Think before you say
Something
Your words can kill
Someone's Happiness-
21 MAR 2021 AT 18:46
खुदखुशी की हिम्मत नहीं है मुझमें साहब
बस दुआ है कि कोई हादसा हो जाए-
19 MAR 2021 AT 9:47
झुकने से अगर रिश्ता गहरा होता है तो झुक जाओ साहब
पर हर बार आपको ही झुकना पड़े तो रुक जाओ-