4 AUG 2019 AT 15:53

पहली मुट्ठी लेकर प्रभु ने
स्वर्ग सुदामा के नाम किया है।
दूसरी मुट्ठी में पृथ्वी लोक का
वैभव मित्र को सौप दिया है।
तीसरी मुट्ठी में देने लगे जो
बैकुंठ तो लक्ष्मी ने रोक लिया है।
अपना निवास भी दान में दे रहा
ऐसा दानी ये मेरा पिया है।।
जय श्री कृष्णा

- ठा Arun Parihar (SNMC Agra)