निखार आ जाता है सुर्ख पड़ी आंखों में
काजल लगाना कोई बुरी चीज तो नही है।
नफरत का गुरूर खुशियां मिटा देता है
प्यार बाटना कोई बुरी चीज तो नही है।
खुशी तभी मुक्कम्बल है जब प्यार है
फिर इश्क़ करना कोई बुरी चीज तो नही है।
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My nature is silent nd shy
पहली मुट्ठी लेकर प्रभु ने
स्वर्ग सुदामा के नाम किया है।
दूसरी मुट्ठी में पृथ्वी लोक का
वैभव मित्र को सौप दिया है।
तीसरी मुट्ठी में देने लगे जो
बैकुंठ तो लक्ष्मी ने रोक लिया है।
अपना निवास भी दान में दे रहा
ऐसा दानी ये मेरा पिया है।।
जय श्री कृष्णा-
राम हुए है कितने ओर प्रमाण दे।
राम हुए है कितने ओर प्रमाण दे।
भारत का कण कण साक्षी है,
जीवन का छण छण साक्षी है,
तपस्थली जो ऋषि मुनियों की,
कुटियों का प्रण प्रण साक्षी है,
धरती और अनंत वोम में,
राम रमे है रोम रोम में,
चन्द सिर्फ लोगो को समझने,
क्या हम अपने प्राण दे,
राम हुए है कितने ओर प्रमाण दे।
राम हुए है कितने ओर प्रमाण दे।
🙏🙏-
राम कथा जन जन में व्यापी,
केवल वंचित है कुछ पापी,
जिनके ज्ञान चक्छ फूटे है,
राम उन्हें लगते झुटे है,
झुठलाते राम के मर्म को,
घायल वे कर रहे धर्म को,
आस्था के प्रति निर्मोही है,
सब के सब हरी हरि द्रोही है,
जो कर रहे राम की निंदा,
वे अबतक कैसे है जिंदा,
ऐसे राम द्रोहीयो को,
पड़ने अब गरुण पुराण दे,
राम हुए है कितने ओर प्रमाण दे।
राम हुए है कितने ओर प्रमाण दे।
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राम अलौकिक युग नायक थे,
अनुसधलन हित धनु सायक थे।
राम चिन्ह जीवन दर्शन के,
मूल स्रोत है योग परिवर्तन के,
राम प्रडेता थे समता के,
दीन हीन के प्रति ममता के,
उद्धारक थे मानवता के,
संघारक थे दानवता के,
राम इष्ट है दया सिंधु है
जन आस्था के केंद्र विंदु है,
राम हमारे आदर्श लीक है,
राष्ट्र अश्मिता के प्रतीक है,
लेकिन दुष्ट मानते कब है,
लगता फिर सक्रियता नभ है,
दुष्टो को पराजित करने को,
हम सब पुनः प्रयाण दे,
राम हुए है कितने ओर प्रमाण दे।
राम हुए है कितने ओर प्रमाण दे।-
राम काज करने वालो में,
राम की शक्ति समायी।
प्रथक प्रथक नामो से,
सारे काम करे रघुराई।
भक्त परायण निज भक्तो को,
सारा श्रेय दिलाते है।
जिन पर कृपा राम करे,
वो धर्म की राह पे जाते है।
🙏🙏-
हम जितने थे लड़खड़ाये
उतने ही संभल गए है।
पहले तो थे हम खंडार
अब बन महल गए है।
ईमान बदलता है
मौसम भी बदलते है
तुम क्यों नही बदलते
जब हम बदल गए है।
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तुझे ऐसा कौन मिल गया
जो गुलाब बदल दिया।
तेरा हिसाब वक़्त करेगा
तूने मेरा हिसाब बदल दिया।
सब्जी में मिर्ची ज्यादा थी
तो थोड़ा घी डाल लेते।
ऐसी क्या जरूरत पड़ गयी
जो स्वाद बदल लिया ।
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मेरे देश का है स्वाभिमान
अटल ग्रंथ ओर वेद पुराण।
वाल्मीकि संस्कृत सम ज्ञान
तुलसी सरल रची रामायण
भरत वंशज भीष्म महान
वेदव्यास महाभारत सम्मान
चेतक साथी राणा की शान
हल्दी घाटी वीरो का बलिदान।
शांति दूत महात्मा का मान
बड़े हितेषी हमारे लाल किसान
भारतभूमि कोटि कोटि प्रणाम
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अजीब सा लगा दिया है दाग
धोका देने वाले भी मेरे अपने थे
कोई तो पूछता मेरी खुशी किसमे है
यार मेरे भी तो कुछ सपने थे
किसका ऐसा क्या बिगाड़ दिया मेने
सबसे दूर,बचपन से अकेले थे
मेरी खामोशी में ही शांत किरदार
नही पता था किस्मत में थपने थे
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