Arun pant   (सूर्य सारथी।।)
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IT engineer,Dehradun ...pahadi by heart...
Joined 30 April 2020


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4 JUN 2022 AT 12:39

हम सब धकेले गए हैं किसी रंगमंच पर, जहां शोर इतना प्रबल है कि हमें जल्दी से कोई न कोई मुखौटा उठाकर अभिनय करना है, ये मुखौटे हमारी पहचान बनने वाले थे।।

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16 OCT 2021 AT 22:26

बेवफ़ा बन जाते हैं दो शख्स इश्क में,
बेगुनाह रह जाते हैं तो उनके आपस में दिए खिलौने।।

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1 AUG 2021 AT 13:45

Friendship is superior among all,
Thats why we seek friendship in every realtion.A father is a good father,if he is a good friend,same applies to a mother, sister,a teacher or a beloved one.
In bhagwat gita also written by veda vyas mentioned Krishna and arjun as friends,
From sociology point of view,also in all other realtions there is someone lower or higher, whether it is a relation of mother or son,teacher or student,but equality is achieved only in friendship.Also a person exercises maximum freedom in friendship only.you are not open to anyone like you are open to your friends.So equality and freedom,which are most superior goals of humanity are achieved only in friendship.

#happy friendship day.

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20 JUN 2021 AT 13:54


Why lord shiva used to put ash or bhasma on his body?
One story says that when sati's body was burnt in fire,then to show his love for sati,lord shiva put her ash on his body.

Also the ash on body of shiva represents that the ultimate destination of human body is only ash.

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9 MAY 2021 AT 22:51

माना कि अंधेरे के गुनहगार हैं बहुत लोग,
फिर भी अपने हिस्से का दिया जलाया जाए,

ये खयाल हकीकत से बहुत टकराते हैं,
या खयाल या हकीकत किसी एक को भुलाया जाए,

हम को किसी के साथ खुश कहा जाए,
इससे बेहतर है कि तेरा सताया कहा जाए,

ये चाहने का सिलसिला अदालत सा हो गया है,
अब हां को हां और ना को ना कहा जाए।।

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6 MAY 2021 AT 18:27

लोकतंत्र में सबसे जादुई चीज होती है,
छुनछुना,
जो बच्चों के हाथ में ध्यान बंटाने के लिए,
पकड़ाया जाता है,
फिर बच्चे जिद्द नही करते
कुछ मांगने के लिए,
उनकी कोशिश रहती है कि,
हर चीज को छुनछूना बना दिया जाए,
चाहे वो धर्म हो, जाति हो,
या राष्ट्रवाद ही हो।।

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6 MAY 2021 AT 18:16

युद्धों का इतिहास रहा है,
युद्ध में जो हार के भाग जाता है,
वो कमजोर दिखता है,
मगर वो अगली बार करता है हमला,
पूरी तैयारी के साथ,
इसी आधार पर दो साल में,
बदल जाता है तराई के युद्ध का निर्णय,
विजयेता बन जाता है पराजित,
इसी तरह से लड़ती है महामारियां,
इंसान से,
वो भागती है बार बार,
फिर आती है दोबारा पूरी तैयारी के साथ।।

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5 MAY 2021 AT 8:30

नाराज़गी के तरीके उनके अब बदल गए हैं,
वो कुछ बोलते नहीं whtsp से dp हटा देते हैं,

गांव के मंदिरों में घास उग आई है,
लोग शहर के मकान में दिए जला लेते हैं,

मजबूरी है कि अपना घर बनाने के लिए,
जिंदगी भर लोग अपने घर से दूर रह लेते हैं,

लोग इतने भी बेवफा नहीं होते,
इसलिए हम वक्त को ही बेवफा कह लेते हैं।।

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28 APR 2021 AT 22:08

रिश्ते में होती है गुलाब की सी नज़ाकत,
उसे कसकर पकड़ो तो वो टूट जाता है,

तुम्हारी नाराजगी एक रात का आसमान है,
यहां रोज एक तारा टूट जाता है,

कैसी जिंदगी है की दिन दफ्तर में जाता है,
और रात को चाहने वाला रूठ जाता है,

कैसे बादलों का कारोबार करते हो तुम,
कहीं बहुत बारिश तो कहीं सूखा छूट जाता है।।



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15 MAR 2021 AT 7:53

वो चाहती थी कि उसे सुना जाए,
जैसे खिड़की धूप को सुनती है,
वो चाहती थी कि उसे देखा जाए,
खरगोश की आंखों की सी मासूमियत से,

वो अपना सर रखकर रोना चाहती थी,
जैसे बादल किसी पर्वत के कंधे पर सर रखकर रोते हैं,
वो चाहती थी किसी के गले मिलना,
जैसे जून की गर्मी पहले बरसात के गले मिलती है,

वो चाहती थी एक भरोसा,
जो सूरजमुखी के फूल को होता है धूप निकलने का।।

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