इस देश में यदि आप तर्क की बात करेंगे, तो लोग आपको गाली देंगे। लेकिन यदि आप पाखंड और अंधविश्वास की बात करेंगे, तो लोग उसे सच मान लेंगे।
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मेरे आदिवासी समाज के भाईयों बहनों से निवेदन है कि अपने समाज से जुड़ो और अपने संस्कृति & रीति रिवाजों को जानों समझो और उसको पालन कीजिए..
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मेरे आदिवासी समाज की लड़के & लड़कियों से निवेदन है कि सोशल मीडिया ( instgram, feachbook, youtube ) में कोई गलत विडियो ना पोस्ट करें जिससे हमारे समाज की मान सम्मान धूमिल हो। आप सब आदिवासी समाज की शेर & शेरनी हो न की नचनियां ।
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हमारे गांव में और लड़को मे
मैं अकेला अंबेडकरवादी हूं
इस बात बहुत घमंड हैं..-
लोग कहते हैं की किस्मत भगवान लिखता है अगर यह बात सच है तो छोटी छोटी बच्चियों की किस्मत मैं बलात्कार लिखते हुए उसे शर्म नहीं आई
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मै नास्तिक इसलिए नही हूं की मुझे
धर्म से नफरत है बल्कि मै नास्तिक
इसलिए हूं की धर्म को इंसानियत से
नफरत है,,,।-
पढ़ा - लिखा व्यक्ति यदि अपने समाज को अंधविश्वास एवं अज्ञानता के दलदल से बाहर न निकाल पाये तो उसके शिक्षित होने का कोई अर्थ नहीं है !
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मैं बुद्धिहीन हूं ।
मेरे पास ज्ञान कम है ।
हे बुढ़ालपेन पुरखापेन मैं तुम्हारे में हूं ।
आकार मुझे अपने शरण में रख लें ।
सत्य मार्ग , सत्य बुद्धि , ज्ञान प्रदान कर मेरी लज्जा रखना ।
मैं आपको बार –बार सेवा जोहार वंदना अर्जी विनती करता हूं ।-
माता पिता के चरण कमलों को सेवा जोहार करता हूं जिन्होंने जन्म दिया है।
यह संसार की रचना है ।
इसलिए बुजरूक जीवियों के कहावत है।
माता पिता और गुरू को एक श्रेणी दिया गया है।
यह बिल्कुल सत्य है-