स्वागत-गीत
उदित है प्रारब्ध, पाकर आपका शुभ आगमन,
असर आहट का हुआ, खिल उठे कितने सुमन ।
आपका स्वागत अतिथि, नमन वंदन हम करें।
दरश कर पुलकित हृदय, खिल गया मन का चमन।
आपके व्यक्तित्व का, हम सभी को नाज़ है।
है उपस्थिति आप की, तो मगन है हर एक जन।
आज सब की वेदनायें, भी तिरोहित हो गईं।
सभी को ऐसा लगा, आ गया उनका स्वजन।- ©'ARUN'
2 MAR 2019 AT 23:47