लगाकर हाथ मिट्टी को कई सामान गढ़ता हैहुनर के मामले में नित नये प्रतिमान गढ़ता हैजहाँ रोशन करे लेकिन रहे ख़ुद ही अँधेरे मेंछुपाकर द़र्द अपने वह सदा मुस्कान गढ़ता है - अरुण चौबे ‘प्रखर’
लगाकर हाथ मिट्टी को कई सामान गढ़ता हैहुनर के मामले में नित नये प्रतिमान गढ़ता हैजहाँ रोशन करे लेकिन रहे ख़ुद ही अँधेरे मेंछुपाकर द़र्द अपने वह सदा मुस्कान गढ़ता है
- अरुण चौबे ‘प्रखर’