22 OCT 2017 AT 14:49

लगाकर हाथ मिट्टी को कई सामान गढ़ता है
हुनर के मामले में नित नये प्रतिमान गढ़ता है
जहाँ रोशन करे लेकिन रहे ख़ुद ही अँधेरे में
छुपाकर द़र्द अपने वह सदा मुस्कान गढ़ता है

- अरुण चौबे ‘प्रखर’