लोगों की बहुत शिकायतें हैं हमसे,
कहते हैं दूर दूर रहते हो, लगता पहचानना भूल गए हो,
उन्हें कैसे समझाऊं की वास्तविक में पहचानना अभी तो शुरू किया है।-
स्वाभिमान न डिगने पाए,
हिम्मत यूंही बढ़ते जाए,
बढ़ते हुए जिंदगी के इस सफर में,
हौंसले यूंही बुलंदियों को छूते चले जाए।-
अपनी आंधियों से भरा इसने शहर है,
कानों में गूंजता हार का ये स्वर है,
हर तरफ से हतोत्साहित करने वाला ये कहर है,
सुन ओ डर, मैं तुझे जीत ही लुंगा।
बढ़ते मेरे कदमों को रोकता ये हर पहर है,
उम्मीदों में घोलने को तैयार ये जहर है,
सुन ओ डर, मैं तुझे जीत ही लुंगा।-
हमने तो लड़खड़ाते कदमों को संभालना सीखा है,
संभल के चलते कदमों को साजिश की बेड़ियों में बांधना नहीं।-
कामयाबी ने अभी दरवाजे पे दस्तक दी ही थी,
कि कमबख्त उम्मीदों का घर पहले ही टूट गया।-
रख हौंसला और न रुकने दे इन बड़ते कदमों को,
तो क्या हुआ, सिर्फ रात का अंधेरा ही तो है, पर जो आने वाला है वो सवेरा भी तो है।-
सपनों को साकार करना आसान नहीं होता,
सपनों का कोई पता, नाम नहीं होता,
किया जाता है तो वो है उनको पाने का दृढ़ निश्चय
बिना कर्म किए जी रहा इंसान, इंसान नहीं होता ।
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अल्फाजों की भी कमी हो जाए दुनिया की जुबां पे,
तु ऐसा खुद का अस्तित्व बना के उभर।-
समय तो लगेगा,
मंजिल तक पहुंचने में।
समय तो लगेगा,
खुद को काबिल बनाने में।
समय तो लगेगा,
गिर के संभलने और फिर कोशिश करने में।
समय तो लगेगा,
अपनी काबिलियत से दुनिया को रूबरू करवाने में।
रख खुद पे भरोसा और न रुकने दे इन बढ़ते कदमों को,
समय तो लगेगा, दुनिया को अपनी शख्सियत दिखाने में।-